वाराणसी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 96वें स्थापना दिवस सह प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर, परिषद् ने कृषि में अनुसंधान और विकास में अपने महत्वपूर्ण योगदान को प्रदर्शित किया और विभिन्न प्रौद्योगिकी एवं नवाचारों का प्रदर्शन किया। समारोह में विभिन्न पुरस्कार और सम्मान भी प्रदान किए गए, जिसमें वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और कृषि क्षेत्र के अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इस अवसर पर भारतीय सब्जी अनुसन्धान परिषद, वाराणसी (आईआईवीआर )द्वारा विकसित कलमी साग की किस्म काशी मनु जो एक नई पत्तेदार सब्जी जो देश की पहली प्रजाति है, को केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा देश के किसानों को समर्पित किया गया। यह नई किस्म संस्थान के कृषि वैज्ञानिक डॉ राकेश कुमार दुबे एवं सहयोगियों द्वारा विकसित की गई है और इसे किसानों और उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी माना जा रहा है। काशी मनु पत्तेदार सब्जी अपने पोषण गुणों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह उच्च मात्रा में विटामिन और खनिज प्रदान करती है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। इस सब्जी को कम समय में उगाया जा सकता है और यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों में अच्छी तरह से बढ़ती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ हो सकता है। साथ ही काशी मनु को गमले में, घरों की छतों पर या बालकनी में उगा कर वर्ष पर्यन्त पत्तेदार सब्जी प्राप्त की जा सकती है। पौधे के सभी भाग खाने योग्य होते हैं। इस किस्म को मैदानी क्षेत्र में, प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में भी उगाया जा सकता है, और यह 45°C से अधिक तापमान में भी पैदावार देती है। पत्तेदार बायोमास की उपज क्षमता 90 टन/हेक्टेयर से अधिक है।  इसका स्वाद भी अच्छा होता है और इसे विभिन्न प्रकार के व्यंजनों जैसे सूप, सलाद, सब्जी, पकौड़ी आदि में उपयोग किया जाता है। संस्थान द्वारा इसका बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक एवं कार्यकरी निदेशक डॉ नागेन्द्र राय  द्वारा विकसित  टमाटर की संकर किस्म काशी तपस जो कि अधिक तापमान (34-36 डिग्री सेंटीग्रेड) सहिष्णु किस्म भी कृषि मंत्री द्वारा देश के किसानों को समर्पित किया गया। इस किस्म के फलों की उपलब्धता जून माह के प्रथम पखवाड़े तक होती है जिसकी औसत ऊपज लगभग 400 कुन्तल/हेक्टेयर है। सब्जी संस्थान के  इस प्रयास ने न केवल भारतीय कृषि को नई दिशा दी है बल्कि किसानों की आय बढ़ाने और उपभोक्ताओं को स्वस्थ आहार प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह नवाचार देश की कृषि प्रौद्योगिकी को एक नई ऊंचाई पर ले जाने का एक और उदाहरण है।