कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं. स्वास्तिक चिकारा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. वो जब छोटे थे तो उन्हें कुछ और नहीं, खेलने के लिए पिता से बस बल्ला चाहिए होता था. मतलब क्रिकेट के लिए जुनून बचपन से ही भूत बनकर सवार था. जैसे-जैसे बड़े होते गए ये जुनून भी हद पार करता गया और फिर 16 साल की उम्र में वो पड़ाव भी आया, जब उन्होंने 52 छक्कों वाली पारी से वर्ल्ड रिकॉर्ड बना डाला.

शतक जमाने से नहीं मिलती पिता को खुशी क्यों?
फिलहाल, स्वास्तिक चर्चा में हैं क्योंकि उन्होंने UP-T20 में सिर्फ 26 गेंदों में कोहराम मचाया है. 25अगस्त से शुरू हुए UP-T20 के दूसरे सीजन के पहले ही मैच में स्वास्तिक चिकारा ने 6 छक्के जड़ दिए. उन 6 छक्कों के साथ उन्होंने 26 गेंदों पर ऐसा विस्फोट किया कि उनके कप्तान रिंकू सिंह के चेहरे पर मुस्कान तो बिखरी ही, टीम ने भी जीत का चोला पहन लिया. स्वास्तिक ने 6 छक्कों के अलावा 5 चौके लगाते हुए 66 रन बनाए.

IPL'25 के ऑक्शन में क्यों बरसेंगे पैसे?
IPL-2025 के ऑक्शन में अगर 19 साल के स्वास्तिक चिकारा पर लगने वाली पैसों की बोली आसमान छूती दिखे तो हैरान मत होइएगा. क्योंकि, उन्होंने अपनी वैसी पहचान बनाई है. एक तो वो ओपनर हैं और दूसरे उन्होंने पेस और स्पिन में किसी का खौफ नहीं है. बल्लेबाजी ऐसी है कि उनके आगे बड़े-बड़े बल्लेबाजों के तेवर भी ढीले दिखते हैं. इन सबसे ऊपर छक्के लगाने की उनकी क्षमता भी कमाल है. अब ऐसे बल्लेबाज पर कौन दांव नहीं लगाना चाहेगा.

52 छक्के, 167 गेंद, 585 रन और वर्ल्ड रिकॉर्ड
UP-T20 लीग के पहले शतकवीर ने 2021 में सिर्फ 16 साल की उम्र में दुनिया को तब चौंकाकर रख दिया था, जब उन्होंने 52 छक्कों के दम पर सिर्फ 167 गेंदों में 585 रन ठोक डाले थे. चिकारा ने ये पारी 19वें बलिदानी रामप्रसाद बिस्मिल ओपन क्रिकेट टूर्नामेंट में खेली थे. इस पारी को खेलकर उन्होंने साउथ अफ्रीका के शेन डैड्सवेल का रिकॉर्ड तोड़ा था, जिन्होंने 2017 में 50 ओवर के मैच में 490 रन जड़े थे. इस रिकॉर्ड को बनाने वाले स्वास्तिक चिकारा दुनिया के सबसे युवा बल्लेबाज भी हैं.

खानदान से जुड़ा, खतरनाक है ये खिलाड़ी
स्वास्तिक चिकारा खिलाड़ियों के खानदान से ताल्लुक रखते हैं. उनके दादा स्प्रिन्टर थे, वहीं पिता शॉट पुटर और लंबी दूरी के धावक. बेटे में क्रिकेट का जुनून देखने के बाद पिता सुरेंदर चिकारा ने उसका दाखिला क्रिकेट एकेडमी में कराया. लेकिन, वहां की ट्रेनिंग से जब उनका मन नहीं भरा तो उन्होंने अपने बेटे को खुद से ट्रेनिंग देने का फैसला किया. पिता के उस फैसले का ही नतीजा है कि स्वास्तिक चिकारा की पहचान आज एक ऐसे बल्लेबाज के तौर पर कायम हो चुकी है, जिसके आगे गेंदबाज पानी मांगते दिखते हैं.