पिछले साल अक्टूबर में भारत ने इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी (IOC) के 141वें सेशन की मेजबानी की थी। मुंबई में तीन दिवसीय सेशन के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2036 ओलंपिक की मेजबानी की इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने कहा था, ‘साल 2036 में भारत में ओलंपिक का सफल आयोजन हो, इसके लिए भारत अपने प्रयासों में कोई कमी नहीं रखेगा। यह 140 करोड़ भारतीयों का सपना है’। पीएम ने इसके बाद पिछले 15 अगस्त के अपने संबोधन में लाल किले से भी इस संकल्प को दोहराया। मेजबानी पाने का संकल्प लेने और उसे हासिल करने की बीच का सफर बेहद कठिन है। भारत को मेजबानी पाने का सपना साकार करने के लिए उसी तरह की मेहनत, मशक्कत करनी होगी जैसी कि किसी भारतीय खिलाड़ी को ओलंपिक में मेडल हासिल करने के लिए करनी होती है। कई मामलों में तो उससे भी ज्यादा और हां, यहां गोल्ड से नीचे किसी मेडल से बात नहीं बनेगी।

अभी पहली सीढ़ी पर
ओलंपिक मेजबानी हासिल करने के लिए कई चरण पार करने होते हैं। ओलंपिक मेजबानी पाने की पूरी प्रक्रिया साल 2019 के बाद से बदल गई है। शुरुआत किसी देश की मेजबानी पाने की इच्छा जताने से ही होती है जो भारत ने जता दी है। इसके बाद संबंधित देश अपने राष्ट्रीय ओलंपिक संघ (NOC) के जरिए इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी (IOC) से संपर्क साधता है। पुराने बिडिंग प्रोसेस को बदलते हुए पांच साल पहले जो नियम बना उसके मुताबिक दुनिया का कोई भी देश IOC से भविष्य के किसी ओलंपिक के आयोजन को लेकर बातचीत शुरू कर सकता है। इस बातचीत के चार चरण हैं। भारत की ओर से IOC से ओलंपिक 2036 की मेजबानी के लिए अपनी इच्छा जाहिर की गई है और उसके साथ डायलॉग  के बिल्कुल शुरुआती दौर में है।

चार स्टेज पार करने की चुनौती
मौजूदा नियम के तहत किसी देश द्वारा मेजबानी की इच्छा जाहिर करने के बाद IOC की उससे अनौपचारिक बातचीत होती है। यह बातचीत फ्यूचर होस्ट कमिशन (FHC) से की जाती है। आईओसी की ओर से समर और विंटर ओलंपिक के लिए दो  FHC का गठन किया गया है। भारत 2036 के समर ओलंपिक की मेजबानी का इच्छुक है और इसके लिए गठित 10 सदस्यीय FHC की चेयरमैन क्रोएशिया की पूर्व राष्ट्रपति कोलिंदा ग्रैबर-कित्रोविच हैं। FHC से संवाद स्थापित होने के बाद वह संबंधित देश की एक टीम को किसी ओलंपिक्स में आमंत्रित करता है। उन्हें प्रेजेंटेशन दिया जाता है और ओलंपिक्स के आयोजन की प्रक्रिया समझने में मदद की जाती है। पैरिस ओलंपिक्स में भारत की ओर से चार सदस्यीय टीम भेजी गई थी। इसमें गुजरात सरकार के एक वरिष्ठ  IAS अधिकारी भी शामिल थे। इस तरह भारत ने संकेत दे दिया है कि 2036 ओलंपिक्स अगर भारत में होता है तो वह गुजरात में होगा।

‘टारगेटेड डायलॉग’ मतलब आधा सफर तय
अनौपचारिक बातचीत के बाद का चरण होता है निरंतर डायलॉग स्टेज। इसमें संबंधित क्षेत्र/शहर/राज्य अपने राष्ट्रीय ओलंपिक संघ के जरिए औपचारिक तौर पर  IOC के  FHC को प्रस्ताव भेजता है। इसके आधार पर  FHC संबंधित  NOC को ‘इंटरेस्टेड पार्टी’ के तौर पर चिन्हित करता है। इस दौरान मेजबानी के इच्छुक देश/शहर को किसी तरह की लिखित गारंटी नहीं देनी होती। IOC की ओर से इच्छुक पार्टी को लेकर ‘फिजिबिलिटी स्ट़डी’ काराई जाती है। IOC की ओर से यह भी बताया जाता है कि कहां- सुधार की आवश्यकता है। IOC की ओर से किसी स्वतंत्र एजेंसी से संबंधित क्षेत्र में मानवाधिकारों की स्थिति पर रिपोर्ट भी मंगाई जाती है। 

पहले बनना होगा ‘प्रीफर्ड होस्ट’
टारगेटेड डायलॉग का स्टेज शुरू होने पर  IOC मेजबानी के लिए इच्छुक देश के अलावा अलग-अलग खेलों के इंरनेशनल फेडरेशंस से भी संपर्क साधता है और उनसे अनुशंसा मांगता है। इसके अलावा गेम्स के अनुमानित लागत, आम लोगों की राय, उक्त ओलंपिक के आयोजन से पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव पर स्वतंत्र रिपोर्ट मंगवाती है। इसके बाद वह मेजबानी की इच्छुक पार्टी को ‘फ्यूचर होस्ट क्वेस्चनेर’ भेजती है और कई तरह की लिखित गारंटी मांगती है। कई सारे सवालों के जवाब को अनेक स्तर पर जांचा-परखा जाता है।