कार्बोनेटेड कोल्ड ड्रिंक यानी आम लोगों के ठंडे पर टैक्स की दर अब तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई है। सभी तरह के कार्बोनेटेड यानी गैस वाले कोल्ड ड्रिंक्स पर सरकार ने जीएसटी और उपकर (सेस) मिलाकर 40 प्रतिशत टैक्स लगा दिया है, जबकि पहले सिर्फ 12 प्रतिशत जीएसटी लगता था। तीन गुना से ज्यादा टैक्स का बोझ आने के बावजूद ज्यादातर कोल्ड ड्रिंक्स वालों ने दाम में इजाफा करने की बजाय आफर या स्कीम की गली से टैक्स का तोड़ ढूंढ लिया है। टैक्स कम चुकाने के लिए कोल्ड ड्रिंक वाले बिलों में स्कीम दिखाना शुरू कर दिया है। इस तरह पूरे माल पर आधा टैक्स चुकाना पड़ रहा है। जीएसटी काउंसिल ने सितंबर में सभी तरह के कार्बोनेटेड यानी सोड़े वाले पेयों पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत कर दी थी। इतना ही नहीं इसके साथ ही ऐसे सभी पेयों पर 12 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा उपकर (सेस) भी लगा दिया था। यानी कोल्ड ड्रिंक्स पर जीएसटी का भार 40 प्रतिशत हो गया है। दो सीजनों में लाकडाउन से प्रभावित कोल्ड ड्रिंक कंपनियां को इस साल की अच्छी बिक्री की उम्मीद पर टैक्स का बोझ पानी फेरता दिख रहा था। बड़ी लागत और खर्च के साथ टैक्स के बढ़े बोझ से निपटने के लिए निर्माताओं को कम से कम 40 प्रतिशत दाम बढ़ाना ही पड़ते। बिक्री का सीजन जोरों पर है लेकिन ज्यादातर कंपनियां दाम वृद्धि से दूर है। टैक्स के बोझ के आफर के सहारे चकमा दिया जा रहा है।

बिल कम का बिक्री ज्यादा की

दरसअल कोल्ड ड्रिंक विक्रेताओं ने बाजार में बिक्री बढ़ाने की स्कीम देने की शुरुआत कर दी है। ज्यादातर कंपनियां अपने डीलरों और विक्रेताओं को आपूर्ति किए जा रहे माल पर आफर या स्कीम दिखा रही है। एक लाट लेने पर दूसरा लाट पांच या दस रुपये में देने की पेशकश बिलों पर दिखाई जा रही है। दरअसल जीएसटी में शून्य या मुफ्त माल देने का बिल नहीं बनाया जा सकता इसलिए पांच या दस रुपये का बिल दिखाकर टैक्स का बोझ हल्का कर दिया गया है। बिल के अलावा ऊपर की राशि का भुगतान नकद में लिया जा रहा है। मध्यम श्रेणी की और फलों पर आधारित या पारंपरिक स्वाद वाले ड्रिंक्स बनाने वाली कंपनियां इस मामले में आगे हैं। इंदौर में गर्मियों में 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की कोल्ड ड्रिंक्स की बिक्री होती है।

पहले था फलो का सहारा

आइसीएआइ ब्रांच इंदौर के पूर्व अध्यक्ष सीए एसएन गोयल के अनुसार जीएसटी के दायरे में 28 प्रतिशत के दायरे में विलासिता की वस्तुएं रखी जाती है। साथ ही व्यसनकारी और विलासिता की वस्तुओं पर साथ में सेस भी लगाया जाता है। इनमें तंबाकू, पान मसाला, सिगरेट, कोयला जैसे कुछ चुनिंदा उत्पाद है। सितंबर से कोल्ड ड्रिंक्स को भी इस सूची में शामिल कर लिया गया। पहले ऐसी कोल्ड ड्रिंक जिसमें फलों का रस मिला हो उसे सरकार जीएसटी में छूट देती थी। सितंबर से वह छूट भी खत्म कर दी। जीएसटी कानून में क्योंकि पूरी तरह मुफ्त वस्तु देने का बिल बनाया जाए तो पूरा टैक्स देना होगा। लेकिन स्कीम या आफर में नाम मात्र की राशि का बिल बनाने पर रोक नहीं है। ऐसे में भले टैक्स बचाया जा रहा है लेकिन कानूनन कार्रवाई नहीं की जा सकती।