गाजीपुर में एन्टी करप्शन वाराणसी की टीम ने सीएमओ कार्यालय में तैनात एक बाबू को 40 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया है. एक डायग्नोस्टिक सेंटर के री रजिस्ट्रेशन के लिये बाबू ने रिश्वत की मांग की थी और इसकी शिकायत डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालक ने एंटी करप्शन की टीम से की और एंटी करप्शन टीम ने बाबू को ट्रैप किया.सदर कोतवाली क्षेत्र के पीजी कॉलेज चौराहे से बाबू की गिरफ्तारी हुई है. जहां से सीएमओ कार्यालय सौ मीटर की दूरी पर है. पीजी कॉलेज चौराहे के पास शिव शक्ति डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित होता है. जिसका रजिस्ट्रेशन 2021 में खत्म हो चुका था.डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालक विजय विक्रम ने इसके री रजिस्ट्रेशन के लिये सीएमओ कार्यालय में आवेदन किया.सीएमओ ने विजय विक्रम को अपने कार्यालय के बाबू अनिल कुमार चौबे से मिलने को कहा.जब विजय विक्रम बाबू से मिले तो उसने पहले तो विजय विक्रम को कई माह तक कार्यालय के चक्कर लगवाये और उसके बाद उनसे 40 हजार के रिश्वत की मांग की.विजय विक्रम ने इसकी शिकायत एंटी करप्शन की टीम से की और एंटी करप्शन की टीम के ट्रैप में बाबू फस गया और उसे गिरफ्तार कर लिया. भ्रष्ट बाबू को उसी डायग्नोस्टिक सेंटर से गिरफ्तार किया गया जिसके री रजिस्ट्रेशन के लिये उसने रिश्वत की मांग की थी.शिकायतकर्ता विजय विक्रम ने बताया कि उन्होंने अपने डायग्नोस्टिक सेंटर के री रजिस्ट्रेशन के लिये सीएमओ कार्यालय में आवेदन किया था. जिसके लिये वरिष्ठ सहायक अनिल कुमार चौबे ने रिश्वत की मांग की थी.इसकी शिकायत उन्होंने एन्टी करप्शन में की और आज ये कार्रवाई हुई है. आपको बता दें कि शिव शक्ति डायग्नोस्टिक सेंटर सीएमओ कार्यालय के पास ही है. उसके संचालक खुद इस बात को मान रहे हैं कि 2021 में उनके सेंटर का रजिस्ट्रेशन खत्म हो गया था.ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि 2021 से अबतक इस सेंटर का संचालन कैसे किया जा रहा था.सीएमओ कार्यालय में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं. इसका अनुमान बाबू की गिरफ्तारी और संचालक के बयान से लगाया जा सकता है.