वॉशिंगटन। भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर पांच जून को करीब एक सप्ताह के लिए अंतरिक्ष गए थे। उन्हें 13 जून को अंतरिक्ष से लौटना था। हालांकि, आज 27 जून हो चुकी है। अबतक उनकी वापसी का कोई अता-पता नहीं है। इस बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक नई जानकारी दी है। नासा ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) को रिटायर करने के लिए वह एलन मस्क के स्पेसएक्स की मदद लेगा।  दरअसल, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने आईएसएस को पृथ्वी के वायुमंडल के माध्यम से प्रशांत महासागर में उसके अंतिम विश्राम स्थल तक ले जाने के लिए एक यान बनाने हेतु स्पेसएक्स को चुना है, जो 2030 में रिटायर हो जाएगा। एलन मस्क की कंपनी के साथ अंतरिक्ष यान तैयार करके देने के लिए 84.3 करोड़ डॉलर का एक समझौता किया गया है, जिसे यूएस डिऑर्बिट व्हीकल नाम दिया गया है। नासा के केन बोवर्सोक्स ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए अमेरिकी डिऑर्बिट व्हीकल का चयन करने से नासा और उसके अंतरराष्ट्रीय साझेदारों को फायदा मिलेगा। इसकी मदद से स्टेशन के संचालन के अंत में उसे पृथ्वी की निचली कक्षा में सुरक्षित पहुंचाने में मदद मिलेगी।'

यह है नासा की योजना

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी की योजना स्पेसएक्स द्वारा अंतरिक्ष यान के निर्माण के बाद इसका स्वामित्व लेने तथा पूरे मिशन के दौरान इसके संचालन को नियंत्रित करने की है। बता दें, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का वजन 430,000 किलोग्राम पाउंड है। यह अब तक अंतरिक्ष में निर्मित सबसे बड़ी एकल संरचना है। मीर और स्काईलैब जैसे अन्य स्टेशन वायुमंडल में वापस आने पर जिस तरह नष्ट हो गए, उसे देखते हुए नासा के इंजीनियर उम्मीद कर रहे हैं कि आईएसएस तीन चरणों में टूटेगा। सबसे पहले सोलर पैनल और रेडिएटर, जो कक्षीय प्रयोगशाला को ठंडा रखते हैं, बंद हो जाएंगे। उसके बाद अलग-अलग मॉड्यूल ट्रस या स्टेशन की संरचना से अलग हो जाएंगे। अंत में ट्रस और मॉड्यूल खुद ही नष्ट हो जाएंगे। बताया जा रहा है कि अधिकांश सामग्री वाष्पीकृत हो जाएगी, लेकिन बड़े टुकड़े बच जाने की उम्मीद है। इसी वजह से, नासा प्रशांत महासागर के एक क्षेत्र के लिए लक्ष्य बना रहा है जिसे प्वाइंट निमो कहा जाता है, जो दुनिया के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में से एक है और उपग्रहों और अंतरिक्ष यान के कब्रिस्तान के रूप में जाना जाता है। बता दें, आईएसएस का पहला खंड 1998 में लॉन्च किया गया था। 2001 से लगातार एक अंतरराष्ट्रीय चालक दल द्वारा बसा हुआ है।