रायपुर। रेल मंत्रालय आए दिन नए-नए आदेश जारी कर रहा है। पहले आदेश में 10 मिनट बाद अपनी बर्थ में पहुंचने पर उसे दूसरों को देने की बात कही गई थी। अब कहा जा रहा है कि कोई भी यात्री रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक ही अपनी सीट पर सो सकेगा। इसके बाद सोया पाया गया तो उस पर जुर्माना लगा दिया जाएगा।

रेलवे के इस फरमान पर यात्रियों ने जताई कड़ी आपत्ति

रेलवे के इस फरमान पर यात्री संस्कार श्रीवास्तव, उमाशंकर सोनी, शुभांशु मिश्रा, दीपक यादव, संतोष पैठणकर, ओमप्रकाश वर्मा, गौरी शंकर मिश्रा और शारदा प्रसाद पांडेय ने कड़ी आपत्ति जताई है। रेलवे के इन दोनों फैसले पर सवाल उठाते हुए यात्रियों ने कहा है कि इसका मतलब साफ है कि अब ट्रेन अपनी बर्थ में लोग यात्रा के दौरान होने वाली थकावट को दूर करने के लिए आराम भी नहीं कर सकेंगे, क्योंकि ऐसा करने पर उनको जुर्माना देना होगा। ट्रेन में कराया जाने वाला रिजर्वेशन यात्रा के दौरान पूरी तरह से संबंधित यात्री की सुविधाओं के लिहाज से होता है लेकिन इस नियम के आने से बुजुर्ग यात्री, महिलाओं और बच्चों को खासी परेशानी होगी।

यात्रियों का कहना है कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन की यात्री ट्रेनों को माल गाड़ियों के आगे तवज्जो नहीं देने की व्यवसायिक सोच ने यात्री ट्रेनों को आम लोगों से दूर करना शुरू कर दिया है। यात्री ट्रेनों की लेटलतीफी से पहले से परेशान लोग अब निजी टैक्सी और बस का सहारा लेने लगे हैं।

यात्रियों ट्रेनों की लेटलतीफी का मामला बिलासपुर के विधायक शैलेश पांडेय ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में उठाया था लेकिन विधायक के इस संबंध में किए गए पत्राचार का दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया, जबकि सांसद, विधायक आम जनता के प्रतिनिधि होते हैं।

ट्रेन के रवाना होने के 10 मिनट बाद तक यात्री सीट तक नहीं पहुंचा तो उसकी बर्थ अन्य यात्री को आवंटित कर दी जाएगी। अब टीटीई स्टाफ एक या दो स्टेशन तक यात्री का इंतजार नहीं करेगा। ऐसी सर्वथा अन्याय पूर्ण व्यवसायिक सोच को बाकायदा रेलवे बोर्ड ने एक आदेश जारी कर अमलीजामा पहनाया है।

यात्रियों के साथ अन्याय कर रहा रेलवे

यात्रियों ने का कहना है कि प्रधानमंत्री, रेलमंत्री की जानकारी के बगैर यदि इस तरह के निर्णय लिए जा रहे हैं तो आने वाले लोकसभा चुनाव में ऐसी अफसरशाही भाजपा के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। आज से लगभग डेढ़ सौ साल पहले महात्मा गांधी को अफ्रीका में यात्रा के दौरान फर्स्ट क्लास यात्रा करने के आरोप में ट्रेन से फेंक दिया गया था। रेलवे द्वारा जारी किए गए दोनों आदेश भी कुछ इसी तरह के मालूम पड़ रहे हैं।

इनका कहना है कि इस नियम के आने से यात्रियों के साथ घोर अन्याय होगा। ट्रेन का रिजर्वेशन तीन महीने पहले से लोग कराते हैं। बड़ी मुश्किल से सीट मिलती है लेकिन 10 मिनट के बाद दूसरे को सीट दिए जाने का आदेश तुगलकी फरमान है।

कई बार ऐसा होता है कि ट्रेन में चढ़ने की जल्दबाजी की वजह से लोग दूसरे कोच में चल जाते हैं और सुरक्षा की दृष्टि से चलती ट्रेन में अपने निर्धारित कोच में नहीं जाते। कई बार पिछले स्टेशन से रिजर्वेशन टिकट बनवाई जाती है, क्योंकि जिसे स्टेशन से जाना होता है वहां से टिकट अवेलेबल नहीं रहती। इसीलिए लोग बोर्डिंग प्वाइंट भी दर्ज करते हैं।

जनहित याचिका दायर करने की अपील

रेलवे का इस तरह से लिया गया निर्णय किसी भी दृष्टि से न्याय पूर्ण नहीं कहा जा सकता है। इन सभी यात्रियों ने प्रतिष्ठित प्रभावशाली, वकील, व्यवसायी और बुद्धिजीवियों से सामने आकर रेलवे के ऐसे फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की अपील की है। यहीं नहीं पैसेंजर ट्रेनों में एक्सप्रेस ट्रेनों का किराया लेने पर भी रोक लगाने की मांग की है।