नई दिल्ली । देश में न्यायाधीशों व ‎विधिक अमले की कमी के चलते साढ़े चार कारोड़ से भी अ‎धिक मामले पें‎डिंग हैं। इतना ही नहीं, एक लाख से अ‎धिक मामले तो तीस साल से भी पुराने बताए जा रहे हैं, ‎जिन पर कोई न्याय नहीं हुआ। यह और कोई नहीं ब‎ल्कि खुद केंद्रीय कानून मंत्रालय ने लोकसभा में उजागर ‎किया है। मंत्रालय ने देश की जिला और अधीनस्थ अदालतों में लंबित मामलों पर चौंकाने वाले आंकड़ों का खुलासा किया है। संसद में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 24 जुलाई 2023 तक निचली अदालतों में करीब साढ़े चार करोड़ मामले लंबित हैं, जिनमें से लगभग एक लाख मामले 30 साल से अधिक समय से अनसुलझे हैं। यूपी में सबसे ज्‍यादा एक करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। हालां‎कि निचली अदालतों में न्यायाधीशों की रिक्तियों की संख्या के मामले में भी उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, जहां जिला और अधीनस्थ अदालतों में लगभग 1,200 पद खाली हैं। उच्च न्यायालयों के लिए भी स्थिति कम चिंताजनक नहीं है। 
देश के विभिन्‍न उच्‍च न्‍यायालयों में 60 लाख से अधिक मामले लंबित पड़े हुए हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सबसे अधिक लगभग 10 लाख लंबित मामले हैं। इसके बाद बंबई, राजस्थान और मद्रास उच्च न्यायालयों का स्‍थान है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय न केवल लंबित मामलों की सूची में शीर्ष पर है, बल्कि न्यायाधीशों की रिक्तियों के लिहाज से भी सबसे आगे है। न्यायालय में न्यायाधीशों के 65 पद खाली हैं। वहीं देश की उच्‍च न्‍यायालयों में कुल 341 पर रिक्त हैं। लंबित मामलों और न्यायाधीशों की रिक्तियों के बीच संबंध के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में सरकार ने स्पष्ट किया कि रिक्तियां एक कारक है, लेकिन वे लंबित मामलों में वृद्धि का एकमात्र कारण नहीं हैं। कई अन्य कारक योगदान करते हैं, जिनमें भौतिक बुनियादी ढांचे और सहायक अदालती कर्मचारियों की उपलब्धता, तथ्यों की जटिलता, साक्ष्य की प्रकृति, बार, जांच एजेंसियों, गवाहों और वादियों जैसे हितधारकों का सहयोग और नियमों और प्रक्रियाओं का उचित अनुप्रयोग शामिल है।
हालां‎कि सुप्रीम कोर्ट के संबंध में मंत्रालय ने कहा कि जुलाई 2023 तक लगभग 69,000 मामले लंबित हैं। शीर्ष अदालत में वर्तमान में दो सीटें खाली हैं, जो संभावित रूप से बैकलॉग को प्रभावी ढंग से संभालने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 21 मार्च 2023 तक 30 से 50 साल से अधिक समय से लंबित 22 मामले हैं। इनमें 20 मामले 30 से 40 वर्ष से लंबित हैं जबकि दो मामले 40 से 50 साल से लंबित हैं। वहीं 50 साल से पुराना लंबित मामला कोई भी नहीं पाया गया है।