नई दिल्ली. लोकसभा (Lok Sabha) में दिल्ली सेवा बिल (Delhi Services Bill) पास हो गया है. अब राज्यसभा (Rajya Sabha) में इसे पास होना है, जहां विपक्षी एकता की अग्नि परीक्षा होने वाली है.

मगर टीडीपी और बीजेडी ने केंद्र को समर्थन का ऐलान कर आम आदमी पार्टी (AAP) की टेंशन बढ़ा दी है. अब जब राज्यसभा में यह बिल पेश होगा, तो किसके पास संसद में कितने सांसदों की संख्या होगी? जिस दिन सरकार ने दिल्ली में नौकरशाही पर कंट्रोल बनाए रखने के लिए केंद्र को ताकतवर बनाने के लिए मई में घोषित अध्यादेश को बदलने के लिए दिल्ली सेवा विधेयक पेश किया, दो प्रभावशाली क्षेत्रीय पार्टियों- वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी ने इस बिल को अपना समर्थन घोषित कर दिया. इन दोनों पार्टियों के राज्यसभा कुल मिलाकर 18 वोट हैं. जिससे संसद में इसका पारित होना तय है.

बीजेपी के बहुमत को देखते हुए लोकसभा में दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 का पारित होना तय ही था. मगर सत्तारूढ़ पार्टी के पास बहुमत नहीं होने के कारण राज्यसभा में इसका पारित होना एक चुनौती बन गया था. इसके लिए बीजेपी ने बीजेडी और वाईएसआरसीपी के साथ-साथ बीएसपी और टीडीपी जैसे विपक्षी गठबंधन से बाहर रहने वाले दलों पर भरोसा किया. आंध्र प्रदेश और ओडिशा की सत्ताधारी पार्टियों के खुले समर्थन से 237 की प्रभावी संख्या वाले ऊपरी सदन में बिल का समर्थन करने वाले सांसदों की संख्या सीधे 130 से अधिक हो गई है.

हाल ही में राज्यसभा की 11 राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा के 5 और तृणमूल के 6 सांसद निर्विरोध चुने गए. कांग्रेस को एक सीट का नुकसान हुआ और राज्यसभा में उसके सांसदों की संख्या 30 रह गई. वहीं बीजेपी की संख्या 93 तक पहुंच गई. 24 जुलाई के बाद 245 सदस्यीय राज्यसभा में 7 सीटें खाली हो गईं. इनमें जम्मू-कश्मीर से 4 सीटें, दो मनोनीत और उत्तर प्रदेश में एक सीट खाली हो गई. अब राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा 120 है. जबकि बीजेपी को पहले की 130 सांसदों का समर्थन मिल चुका है.