भोपाल । इंदौर-भोपाल और जबलपुर-भोपाल के बीच जून में शुरू की गई वंदे भारत ट्रेनों के विस्तार का फैसला अगस्त या सितंबर तक संभावित है। रेलवे बोर्ड के साथ संबंधित जोनल मुख्यालयों द्वारा भी लगातार दोनों ट्रेनों में हो रही बुकिंग पर निगाह रखी जा रही है। एक या दो महीने के आधार पर दोनों दिशाओं में हो रही बुकिंग के आधार पर फीडबैक रेल मंत्रालय को भेजा जाएगा और विस्तार के संभावित रूटों पर चर्चा होगी।
इंदौर-भोपाल वंदे भारत ट्रेन को खजुराहो, ग्वालियर या नागपुर तक विस्तारित करने के विकल्प हैं, जबकि भोपाल-जबलपुर वंदे भारत को जबलपुर से आगे रीवा या भोपाल से आगे इंदौर तक विस्तारित करने के विकल्प मौजूद हैं। इंदौर से भोपाल जाने वाली वंदे भारत की तुलना में रात को भोपाल से इंदौर आने वाली वंदे भारत को अपेक्षाकृत ज्यादा ट्रैफिक मिल रहा है। बुधवार को भोपाल से आने वाली वंदे भारत में सुबह नौ बजे तक एसी चेयर कार श्रेणी में 350 से ज्यादा सीट खाली थीं, जबकि एक्जीक्यूटिव चेयरकार में 30 से ज्यादा सीट खाली थीं। गुरुवार सुबह इंदौर से भोपाल जाने वाली वंदे भारत में 365 से ज्यादा सीट एसी चेयरकार और 35 से ज्यादा सीट एक्जीक्यूटिव चेयरकार में खाली हैं। इंदौर से सुबह 6.30 बजे जाने वाली वंदे भारत के पांच मिनट बाद भोपाल इंटरसिटी जाती है, जिसकी एसी चेयरकार का किराया लगभग आधा है। जानकारों का कहना है कि इंदौर से चलने के समय में बदलाव जरूरी है। इंटरसिटी और वंदे भारत में कम से कम एक-दो घंटे का अंतर होना चाहिए। वंदे भारत उस समय चलाई जाना चाहिए, जब भोपाल के लिए और कोई ट्रेन न हो। वापसी में भोपाल-इंदौर के बीच इस ट्रेन को फिर भी ट्रैफिक मिल रहा है, क्योंकि उस समय इंदौर आने के लिए कोई ट्रेन नहीं है, साथ ही ट्रेन में नाश्ता और रात का खाना भी दिया जाता है।      
यदि रेलवे बोर्ड जबलपुर-भोपाल वंदे भारत को इंदौर तक बढ़ाने का फैसला लेता है, तो इंदौर को जबलपुर के लिए अतिरिक्त ट्रेन तो मिलेगी ही, साथ ही इंदौर-भोपाल के बीच एक अतिरिक्त वंदे भारत भी मिल जाएगी। इस ट्रेन को देवास-मक्सी होकर चलाया जाए, तो वह ढाई घंटे में ही इंदौर आ सकती है।