दाम इतने ज्यादा हो गए कि लूट का खतरा बढ़ गया


भोपाल । टमाटर सहित तमाम सब्जियों के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। आज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने टमाटर और सब्जियों के दामों में हुई बढ़ोत्तरी के विरोध में प्रदर्शन किया। कांग्रेस कार्यकर्ता 5 नंबर सब्जी मार्केट पहुंचे। वहां से टमाटर, धनिया, अदरक खरीदकर उसे ब्रीफकेस में रखकर केन्द्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पीसीसी दफ्तर पहुंचे।
पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, रघुनंदन शर्मा के साथ कांग्रेस प्रवक्ता सिद्वार्थ राजावत, विक्की खोंगल, सिद्धार्थ सिंह राजावत, कुंदन पंजाबी, अभिनव बरोलिया, फिरोज सिद्दीकी, विनय सिंह राजपूत बाजार से सब्जी लेकर बंदूक (एयरगन) लेकर कांग्रेस कार्यालय पहुंचे। कांग्रेस प्रवक्ता विक्की खोंगल ने कहा कि लगातार टमाटर, अदरक सहित तमाम खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ते जा रहे हैं। केन्द्र सरकार मंहगाई को काबू करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। हालात ऐसे हैं कि आज टमाटर और पेट्रोल के रेट बराबर हो गए हैं। हमें डर है कि कहीं कोई हमसे सब्जियां लूटकर न ले जाए इसलिए सांकेतिक रूप से हमने सब्जी खरीदने के बाद उसे एयरगन के साए में लेकर आए हैं। और सब्जियों को पीसीसी की तिजोरी में संभालकर रखा है ताकि चोरी न हो जाए।


अधिकांश सब्जियां 60 रुपए किलो तक
प्रदेश में कद्दू, अरबी को छोड़ दिया जाए तो एक भी सब्जी ऐसी नहीं है जो 60 रुपए प्रति किलो के दाम से कम पर बिक रही है। अब तो मिर्ची, टमाटर से आगे निकल गई। टमाटर जहां 160 रुपए किलो बिक रहा है। वहीं, मिर्ची फुटकर में 200 रुपए किलो तक बिक रही है। ऐसे में धनिया भी कहां पीछे रहने वाला है। रविवार को मंडियों में धनिया का 300 रुपए किलो तक बिका। गोभी, भिंडी, लौंकी के दामों में भी उछाल आना शुरू हो गया है। सब्जी व्यापारी राजेश गुप्ता ने बताया कि सब्जियों की आवक कम हो गई है, इसलिए रेट लगातार बढ़ रहे हैं। पुरानी फसल समाप्ति की ओर है। ऐसे में जिनके पास सब्जी हैं वे ही ऊंचे दामों में बेच रहे हैं। फुटकर बाजार में अधिकांश सब्जियां 60 रुपए किलो तक पहुंच गई हैं। धनिया ही 300 रुपए किलो तक पहुंच गया है। हाट बाजार में ही यह 30 रुपए का 100 ग्राम बिका। अदरक भी 240 रुपए किलो तक बिका। सब्जियों के थोक व्यापारी शकील कुरैशी ने बताया कि पानी बरसा तो भाव और बढ़ जाएंगे। बारिश की वजह से खेतों में पानी भर जाता है। सब्जियां खराब होने लगती हैं। किसान इन्हें तोडऩे खेतों में नहीं जाते। जो सब्जी आती हैं वह महंगी होती हैं। अभी पैदावार भी कम है।