जिला पंचायत में हुई चर्चा भ्रामक : श्रीमती आरती
बिलासपुर । तख़तपुर बलॉक अतर्गत राजाकापा प्राथमिक शाला की सहायक शिक्षिका ( एल.बी ) श्रीमती आरती राज़पूत का कहना है कि एक अप्रैल को जिला पंचायत बिलासपुर की सामान्य सभा में उनके मातृत्व अवकाश को लेकर जो बातें हुईं उसका कोई आधार नहीं है। श्रीमती आरती राज़पूत ने स्पष्ट किया है कि वे मातृत्व अवकाश पर नहीं , बल्कि शासन द्वारा प्रदत्त संतान पालन अवकाश पर हैं। इस तरह की भ्रामक ख़बर से एक माँ और एक शिक्षक के रूप में उन्हे असहनीय मानसिक कष्ट हुआ है।
जैसा कि मालूम है कि एक अप्रैल को जिला पंचायत सामान्य सभा की बैठक का हवाला देते हुए यह ख़बर छपी थी कि शिक्षा विभाग की तरफ से पेश किए गए पालन प्रतिवेदन पर जनप्रतिनिधियों ने जमकर हंगामा मचाया। जितेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि अधिकारी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेते हैं। निर्देश के बाद भी गलती करने वालों को बचाया जा रहा है। तखतपुर स्थित राजाकांपा प्राथमिक स्कूल शिक्षिका आरती राजपूत बिना मां बने मातृत्व अवकाश पर है। इस शिकायत के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि हम मातृत्व अवकाश और लमेर मामले की जांच करेंगे। वेतन भी रोकेंगे।
ज़ाहिर सी बात है कि़ यह ख़बर जिला पंचायत सामान्य सभा में हुई चर्चा के आधार पर छपी थी । लेकिन राज़ाकापा प्राथमिक शाला की शिक्षिका श्रीमती आरती राज़पूत का कहना है कि ये बातें भ्रामक हैं और इसका कोई आधार नहीं है। यह पूरी तरह से मिथ्या और षडय़ंत्रपूर्वक भ्रमित करने का प्रयास है। इसके संबंध में अपना पक्ष रख़ते हुए उन्होने कहा कि उनके पुत्र का नाम जय प्रताप सिंहं है । उसकी उम्र 3 साल 1 माह है। मैं मातृत्व अवकाश पर नहीं , बल्कि शासन द्वारा प्रदत्त सुविधा संतान पालक अवकाश पर हूँ। श्रीमती आरती राज़पूत ने यह भी बताया है कि शांतिनगर उस्लापुर से संलग्नीकरण समाप्त होने के आदेश के परिपालन पश्चात पिछले 15 मार्च को विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी के द्वारा स्वीकृत आदेश के अनुरूप 16 मार्च से अवकाश पर हैं। उन्होने अपने बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र भी दिया है और कहा है कि इसके बावज़ूद उनके बारे में यह प्रचारित किया गया है कि वे बिना माँ बने मातृत्व अवकाश पर हैं। इससे एक माँ और एक शिक्षक के रूप में उन्हे असहनीय मानसिक कष्ट हुआ है। प्रशासनिक तंत्र को वास्तविकता से रू-ब-रू कराने के लिए उन्होने यह तथ्य प्रस्तुत किय़ा है।
इस नियम के अनुसार महिला शासकीय सेवक को सक्षम अधिकारी द्वारा उसके संपूर्ण सेवाकाल के दौरान उसकी दो ज्येष्ठ जीवित संतानों की देखभाल के लिए अधिकतम 730 दिन की कालावधि का संतान पालन अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा।उप नियम(1) के प्रयोजनों के लिए संतान से अभिप्रेत है कि 18 साल की आयु से कम की संतान (विधिक रुप से दत्तक संतान को सम्मिलित करते हुए); या सामाजिक न्याय तथा सशक्तिकरण मंत्रालय भारत सरकार की अधिसूचना क्रमांक 16-18098-एम1.1 दिनांक 1 जून 2001 में यथा विनिर्दिष्ट न्यूनतम 40 प्रतिशत नि:शक्तता वाली संतान( आयु सीमा का कोई बंधन नहीं।)
उप-नियम (1) के अधीन किसी महिला शासकीय सेवक को संतान पालन अवकाश की स्वीकृति निम्न शर्तों के अधीन दी जाएगी।यह एक कैलेंडर वर्ष में 3 बार से अधिक के लिए स्वीकृत नहीं किया जाएगा। यदि स्वीकृत किए गए अवकाश की कालावधि आगामी कैलेंडर वर्ष में भी जारी रहती है तो बारी की गणना ऐसे वर्ष में की जाएगी, जिसमें की अवकाश का आवेदन किया गया था अथवा जिसमें आवेदन किए गए अवकाश का अधिक भाग आता है। कैलेंडर वर्ष से अभिप्रेत है वर्ष के 1 जनवरी से शुरू होकर 31 दिसंबर तक की कालावधि।
यह सामान्य रूप से परिवीक्षा काल अवधि के दौरान स्वीकृत नहीं होगा। संतान पालन अवकाश की अवधि के दौरान महिला शासकीय सेवक को अवकाश पर प्रस्थान करने के ठीक पूर्ववर्ती मास में आहरित वेतन के समान अवकाश वेतन का भुगतान होगा। संतान पालन अवकाश अवकाश लेखा के विरुद्ध विचलित नहीं किया जाएगा और यह किसी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ संयोजित किया जा सकेगा। इस अवकाश का खाता अलग से संधारित किया जाएगा और इसकी प्रविष्टि संबंधित महिला शासकीय सेवक की सेवा पुस्तिका में की जाएगी।