भोपाल के मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MANIT) के विस्तृत रिसर्च ने प्रदेश की गर्मी की गंभीरता को लेकर चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। जिसके अनुसार साल 1980-90 के बीच 120 दीन हीट वेव (लू) चली। जो चार दशक पर बाद साल 2013 से साल 2024 में 50% बढ़कर 180 दिन तक दर्ज की गई। वहीं इसी समय काल में "नो डिस्कम्फर्ट" यानी बिना असुविधा वाले दिन 83 से घटकर 48 रह गए। इसकी प्रमुख वजह तेजी से होते शहरीकरण को बताया गया है।
इस रिसर्च को प्रमुख प्रस्तुतकर्ता डॉ. विकास पूनिया और थीसिस तैयार करने वाले एमटेक के छात्र हिमांशु झारिया ने किया। इन्होंने मध्यप्रदेश के 7 शहरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, उज्जैन और सतना के साल 1980 से 2024 तक की गर्मी और हीट वेव से जुड़े आंकड़ों का अध्ययन किया। जिसके बाद यह तथ्य सामने आए हैं।
डॉ. पूनिया के अनुसार, प्रदेश में भोपाल और इंदौर दो शहर हैं, जहां अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट देखा जा रहा है। यानी जब शहरीकरण तेजी से बढ़ता है तो हरियाली कम होती है। इससे उस क्षेत्र में गर्मी का असर बढ़ता है। चारो ओर कॉन्क्रीट होने पर हीट एक दायरे में कैद हो जाती है और हीट आइलैंड बन जाता है।
सबसे अधिक खतरा मध्य प्रदेश में
डॉ. विकास पूनिया ने बताया कि शहरी इलाकों में जनसंख्या घनत्व, सीमेंट की संरचनाएं और हरियाली की कमी के कारण अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट बना है। जिससे गर्मी और भी ज्यादा महसूस होती है। साल 2025 में 11 मार्च से 24 अप्रैल तक मध्य प्रदेश में हीट वेव 25 दिन दर्ज हुई। इतने ही दिन हीट वेव राजस्थान में देखी गई। यह देश में सर्वाधिक है।
ऐसी रिसर्च जरूरी
डॉ. पूनिया के अनुसार, भारत में 2024 की गर्मियों में हीट स्ट्रोक के 40,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए। 2050 तक हर क्षेत्र में हीट वेव की गंभीरता और अवधि दोनों बढ़ने की संभावना है। यह रिसर्च न सिर्फ चेतावनी है, बल्कि नीति निर्माताओं के लिए एक मार्गदर्शक भी है कि कैसे शहरों को हीट वेव से बचाने की तैयारी की जाए।
क्या हो सकते हैं उपाय?
- शहरों में ग्रीन कवर बढ़ाना
- समय रहते पूर्वानुमान के लिए एडवांस एआई आधारित मॉडल तैयार करना
- शहर-वार हीट एक्शन प्लान बनाना
- स्कूल और अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थलों पर कूलिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपनाना