रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में आयोजित किया जाएगा। इस सत्र को ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि यह पहली बार होगा जब सदन की कार्यवाही नवा रायपुर के नए विधानसभा भवन से संचालित होगी। साथ ही, इस सत्र में प्रदेश सरकार अपना पहला विधेयक – धर्मांतरण पर रोक संबंधी कानून लाने जा रही है, जिस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
धर्मांतरण पर रोक विधेयक बनेगा सत्र का केंद्र बिंदु
राज्य सरकार ने मानसून सत्र के दौरान संकेत दिए थे कि धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून लाया जाएगा। उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने उस दौरान सदन में घोषणा की थी कि यह विधेयक शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। अब इस विधेयक को पारित कराकर सरकार अपने कार्यकाल का पहला विधेयक पारित करने का रिकॉर्ड बनाएगी। माना जा रहा है कि यह कानून राज्य में धार्मिक परिवर्तन से जुड़े मामलों पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान करेगा।
पुरानी विधानसभा में ‘विदाई सत्र’
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने बताया कि सत्र की शुरुआत पुराने विधानसभा भवन में होगी। इसे ‘विदाई सत्र’ के रूप में आयोजित किया जाएगा, ताकि प्रदेश की लोकतांत्रिक यात्रा के उस गौरवशाली स्थल को भावपूर्ण विदाई दी जा सके। इसके बाद शेष कार्यवाही नवा रायपुर के नए विधानसभा परिसर में होगी। बजट सत्र से सदन की संपूर्ण कार्यवाही नए भवन से ही की जाएगी।
नवा रायपुर में नया इतिहास रचने की तैयारी
डॉ. रमन सिंह ने कहा “यह छत्तीसगढ़ विधानसभा के इतिहास का एक ऐतिहासिक अध्याय होगा। पहली बार सत्र नवा रायपुर में आयोजित किया जाएगा, जो राज्य की प्रगति और नई प्रशासनिक दिशा का प्रतीक है।” नया विधानसभा भवन अत्याधुनिक तकनीक, ऊर्जा-संरक्षण सुविधाओं और डिजिटल संसाधनों से लैस है। इसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 नवंबर को राज्योत्सव दिवस पर किया था। भवन का डिजाइन भारतीय लोकतंत्र की भावना और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान का संगम है।
दो भवनों में होगा सत्र का संचालन
सूत्रों के अनुसार, शीतकालीन सत्र के दौरान कुछ प्रारंभिक कार्यवाही पुरानी विधानसभा में और अधिकांश कार्यवाही नए भवन में की जाएगी। यह संक्रमणकालीन व्यवस्था इसलिए की जा रही है ताकि नए सदन के तकनीकी और प्रशासनिक प्रोटोकॉल को स्थिर किया जा सके।
राजनीतिक रूप से अहम सत्र
शीतकालीन सत्र न केवल भवन परिवर्तन के कारण ऐतिहासिक है, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है। धर्मांतरण विधेयक के अलावा, सरकार राज्य के विकास, निवेश और रोजगार संबंधी नीतियों पर भी चर्चा करा सकती है। विपक्ष भी प्रशासनिक फैसलों और कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा के इस सत्र से जहां नई शुरुआत का प्रतीक जुड़ा है, वहीं यह सत्र राज्य की राजनीतिक और विधायी दिशा तय करने वाला भी साबित हो सकता है।



