धरती के जीव-जंतुओं पर कहर बरपाएगा सौर तूफान
वॉशिंगटन । धरती पर सूरज की किरणें अब ऐसा रूप अख्तियार करेंगे, जो किसी हमले जैसी लगेंगी। सूरज हमारे आकलन से ज्यादा तपिश के साथ धरती के जीव-जंतुओं पर कहर बरपाएगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर सौर तूफान आया तो धरती के वायुमंडल पर बुरी तरह से असर डालेगा। उनको अंदेशा है कि इससे उपग्रह और संचार प्रणाली को बड़ा नुकसान हो सकता है।
यही नहीं, हमारा जीपीएस सिस्टम भी अस्थायी रूप से ध्वस्त हो सकता है।उनका कहना है कि इस बार सौर तूफान धरती के जीव-जंतु के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस बार सूर्य का तापमान शिखर पर पहुंच चुका है।वैज्ञानिकों को आशंका है कि सूर्य हमारे ग्रह को 2023 के अंत तक अपना सबसे खतरनाक रूप दिखाएगा।इस दौरान सूर्य की तपिश में लगातार बढ़ोतरी हो सकती है। वैज्ञानिकों ने इस खतरे का आकलन कुछ समय बाद के लिए लगाया गया था, लेकिन ये असर अनुमानित समय से पहले ही दिखना शुरू हो गया है। उनके मुताबिक, सौरमंडल में हर 11 साल के बाद ऐसे हालात बनते हैं। इस दौरान सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में बड़ा बदलाव होता है।इससे उत्तरी ध्रुव दक्षिणी ध्रुव में तब्दील हो जाता है.ध्रुवों के इस उलटफेर के कारण सूर्य की रोशनी और तपिश बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।
सौरमंडल में बनने वाले ऐसे हालात धरती के लिए काफी खतरनाक माने जाते हैं।सौर तूफान के कारण धरती की संचार प्रणालियों पर बुरा असर पड़ने का खतरा बनता है।इसके अलावा बिजली के बुनियादी ढांचे को भी नुकसान हो सकता है।अंतरिक्ष में मौजूद एस्ट्रोनॉट्स पर भी इसका बुरा असर होता है।वैज्ञानिक के मुताबिक, इस बार सौर तूफान जल्द आने की आशंका है।ये अनुमान से ज्यादा ताकतवर भी हो सकता है.पहले वैज्ञानिकों को वर्तमान सौर चक्र के 2025 में चरम पर पहुंचने का अंदेशा था।अब दुर्लभ सौर घटनाओं को देखते हुए अनुमान में बदलाव किया गया है।
हालांकि, वैज्ञानिकों अब तक ये स्पष्ट तौर पर नहीं जान पाए हैं कि सूर्य का चक्र इतने लंबे समय तक क्यों चलता है? ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के सौर भौतिक विज्ञानी एलेक्स जेम्स के मुताबिक, ये सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र पर निर्भर है।सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के सक्रिय होते ही उसके सुरक्षा घेरे पर असर पड़ता है।इससे आग की गर्मी वाली रोशनी निकलती है।इसे सौर ज्वाला कहा जाता है.अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अप्रैल 2019 में सौर चक्र 2025 को लेकर अनुमान जताते हुए चेतावनी जारी की थी। इससे पहले 2014 के मध्य और 2016 की शुरुआत के बीच सौर चक्र अपने चरम बिंदु पर था।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, दिसंबर 2022 में सूर्य 8 साल के सनस्पॉट पीक पर पहुंच गया था।वैज्ञानिकों ने जनवरी 2023 में ही नासा की भविष्यवाणी के मुकाबले दोगुने से भी अधिक सनस्पॉट को स्पॉट किया था।फरवरी में यह संख्या फिर बढ़ गई। वैज्ञानिकों कहना है कि सूरज की तपिश लगातार बढ़ती जा रही है। तपती गर्मी में बारिश की बौछारें भी कुछ ही देर अपनी ठंडक बरकरार रख पाती हैं। बारिश के बाद पड़ने वाली भीषण गर्मी और उमस से लोग परेशान हैं।