दुनिया के 150 देशों में वैवाहिक दुष्कर्म अपराध
नई दिल्ली । देश में वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। यह मुद्दा केवल भारत का नहीं है। दुनिया के 150 देशों में वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। वहीं, भारत समेत दुनिया के 32 देश ऐसे हैं जहां वैवाहिक दुष्कर्म अपराध नहीं है। अमेरिका ने पांच जुलाई 1993 को सभी 50 राज्यों में वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित किया था। एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 10 से 14 फीसदी विवाहित महिलाओं के साथ वैवाहिक दुष्कर्म की घटनाएं होती हैं। एक तिहाई महिलाओं के साथ उनके पति बिना उनकी सहमति के शारीरिक संबंध बनाते हैं। महिला अधिकारों पर नजर रखने वाली संस्थाओं के अनुसार भारत के साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन, अफगानिस्तान, मलयेशिया, सिंगापुर, ओमान, यमन, बहरीन, कुवैत समेत 32 देशों में वैवाहिक दुष्कर्म अपराध नहीं है। मलयेशिया में पत्नी के साथ वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध नहीं माना गया है। हालांकि अगर इसके लिए पत्नी के साथ हिंसा या मारपीट होती है तो इसके लिए पति को सजा का प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के अनुसार बिना सहमति या जबरन शारीरिक संबंध बनाना तभी अपराध माना जाता है जब पत्नी की उम्र 18 वर्ष से कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि धारा 375 महिलाओं की एकता, समानता और निजता का हनन है। ये स्थिति तब है जब भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 देश के हर नागरिक के अधिकारों की सुरक्षा का पूरा अधिकार देता है। बिहार की महिला अर्नेश कुमार ने बिहार सरकार से वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की मांग की थी। 2015 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बिहार सरकार को वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में रखने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि, एक महिला के लिए कानून नहीं बदला जा सकता। अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया था। देश में वर्ष 2017 से पहले यह व्यवस्था कि पति अपनी 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र की पत्नी के साथ सहमति या बिना सहमति के शारीरिक संबंध बनाता है तो ये बलात्कार नहीं माना जाएगा। अक्टूबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने उम्र सीमा को बढ़ाकर 18 वर्ष कर दिया था। केंद्र सरकार ने वर्ष 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा था कि वैवाहिक दुष्कर्म को भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में नहीं रख सकते। इससे शादी के बंधन को क्षति पहुंच सकती है। इसके अलावा पुरुषों या पतियों को प्रताड़ित करने का आसान हथियार बन सकता है।