राहुल गांधी के प्रौद्योगिकी ज्ञान को भारतीय-अमेरिकी उद्यमियों ने सराहा
सिलिकॉन वैली । भारतीय-अमेरिका के उद्यमियों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के प्रौद्योगिकी ज्ञान को खूब सराहा है। अमेरिका के कैलिफोर्निया में कृत्रिम मेधा (एआई) और अन्य आधुनिक प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सक्रिय सिलिकॉन वैली के स्टार्टअप उद्यमियों के साथ राहुल गांधी की बैठक की मेजबानी करने वाले एक युवा भारतीय-अमेरिकी उद्यमी ने कहा कि कांग्रेस नेता को प्रौद्योगिकी के मानवीय पहलुओं की गहरी समझ है और वह इसे आम लोगों एवं रोजगार पर पड़ने वाले असर से जोड़कर देखते हैं। जीआरसी संबंधी निर्णय लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए क्लाउड-आधारित मंच उपलब्ध कराने वाले स्टार्टअप फिक्सनिक्स के संस्थापक शाह शंकरन ने कहा कि राहुल कभी यह दावा नहीं करते कि वह सब कुछ जानते हैं लेकिन वह (कुछ नया जानने-सीखने के लिए) हमेशा उत्सुक रहते हैं।
आयोजित बैठक के दौरान उन्होंने माना कि अलग-अलग विषयों को लेकर उनका सीमित ज्ञान है, लेकिन वह हमेशा प्रौद्योगिकी की गहरी समझ हासिल करने की अपनी ललक प्रदर्शित करते हैं। शंकरन ने सिलिकॉन वैली का स्टार्टअप हब कहलाने वाले ‘प्लग एंड प्ले’ में ‘‘एआई एंड ह्यूमन डेवलपमेंट : ए चैट विद राहुल गांधी’’ विषय पर बुधवार को आयोजित कार्यक्रम की मेजबानी की। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के दौरान राहुल ने दर्शकों से कहा कि वह बैंकिंग सहित अन्य क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को अपनाने के मामले में अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का अनुकरण करने की कोशिश करते हैं। शंकरन के मुताबिक, राहुल गांधी यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर वह अपने दृष्टिकोण के जरिये भारत के प्रधानमंत्री बनते हैं, तो नवाचार के माध्यम से वृद्धि और विकास को कैसे और बढ़ावा दिया जा सकता है।
फिक्सनिक्स के संस्थापक ने कहा कि राहुल ने यह भी संकेत दिया कि वह प्रौद्योगिकी पर प्रतिबंध लगाने के बजाय उसे विनियमित करने के पक्ष में हैं। शंकरन ने कहा, प्रौद्योगिकी को प्रतिबंधित नहीं, विनियमित करने की आवश्यकता होती है। वर्तमान में भारत में क्या हो रहा है, टिकटॉक का उदाहरण ही ले लीजिए, आपको यह पसंद नहीं है, तो इस पर पाबंदी लगा दी। अमेरिका ने टिकटॉक या ड्रोन पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। वह इन्हें एक तरह से विनियमित करता है। उसे कुछ समस्याएं थीं, तो उसने टिकटॉक के सीईओ को कांग्रेस (अमेरिकी संसद) के सभी सदस्यों से बात करने के लिए बुलाया।
शंकरन ने कहा, राहुल प्रधानमंत्री बन सकते थे, जब उनके पास बहुमत था। वह दो बार प्रधानमंत्री बन सकते थे। लेकिन, वास्तव में वह कभी प्रधानमंत्री नहीं बने। अगर वह प्रधानमंत्री बनना चाहते, तो कांग्रेस में कोई भी आपत्ति नहीं जताता। उन्होंने कभी चाहा ही नहीं। भारतीय-अमेरिकी उद्दमी ने कहा, मैं समझता हूं कि वह (राहुल) एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिसे आने वाली पीढ़ियां आदर्श के रूप में देख सकती हैं। यही नहीं, अब जबकि उन्हें सांसद के रूप में मिले बंगले से बाहर निकाल दिया गया है, तब भी उनके मन में मोदी के लिए रत्ती भर भी गुस्सा या नफरत नहीं है।