लखनऊ | दो हजार रुपये के नोट चलन से बाहर करने के फैसले का उद्योग जगत ने समर्थन किया है। हालांकि यह भी कहा है कि सरकार को ये कदम उठाने की ठोस वजह बतानी चाहिए ताकि जनता में घबराहट न फैले।दो हजार के नोट चलन से बाहर करने के लिए चार महीने का समय दिया गया है। उद्योग जगत का कहना है कि दो हजारी बंद होने से संगठित कारोबार को खास फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि ये सेक्टर पहले ही डिजिटल में जा चुका है। ये फैसला गांव, छोटे जिलों और शहर के मोहल्लों में छोटी-छोटी दुकानें चलाने वाले व्यापारियों को परेशान कर सकता है। घरों में बड़े नोट में छोटी बचत जोड़ने वाले लोग भी भयभीत होंगे। उनकी गाढ़ी कमाई को बचाना सरकार का काम है।

कुछ संगठनों ने कहा कि कालेधन पर प्रहार के लिए ये एलान किया गया है। लगातार रिपोर्ट आ रही थीं कि कालेधन का संग्रह बड़ी करेंसी में किया जा रहा है। ये फैसला उनके लिए मुसीबत खड़ी करेगा। उन्होंने ये भी स्वीकार किया कि भले प्रत्यक्ष रूप से कारोबार पर असर न दिखे लेकिन सच तो यह है कि बंदी का प्रभाव पड़ेगा।सीआईआई के चेयरमैन आकाश गोयनका का कहना है कि कालेधन पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है। वैसे भी चार साल से दो हजार के नोट छप ही नहीं रहे थे। बाजार में प्रचलन काफी कम था। नोट बदलने के लिए भी पर्याप्त समय दिया गया है।द इंडस इंटरप्रैन्योर (टाई) यूपी के कोषाध्यक्ष राव विक्रम सिंह का कहना है कि इकोनॉमी के लिए यह फैसला अच्छा है। भ्रष्टाचार पर बड़ा प्रहार है। कालेधन के संग्रह की वजह से ही हजार का नोट हटाया गया था। दो हजार के नोट जिनके पास अघोषित हैं और भारी मात्रा में हैं, उनके लिए बड़ी चोट होगी।