भोपाल । जिस जगह पर 79 हजार पौधे खडे होना चाहिए था, वहां पर सिर्फ  घास नजर आ रही। पौध रोपण के नाम पर कागजों में दो करोड़ रुपये खर्च हो चुके है। जमीन पर एक पौधा नजर नहीं आ रहा है। यह मामला है वन विभाग में भ्रष्टाचार का।  इंदौर के चोरल फील्ड फायरिंग के बदले कम्पेल में वन विभाग की जमीन पर पौधे लगाया जाना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इन सबकी शिकायत लोकायुक्त तक पहुंच गई है। अब इंदौर रेंज में पौधारोपण से जुड़े कार्य करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पूछताछ के लिए बुलाया है। लोकायुक्त ने अभी तीन लोगों को नोटिस जारी किया है। इस महीने के अंतिम सप्ताह में वन अफसरों को बयान देने जाना है। वैसे यह पौधारोपण सीसीएफ इंदौर ने गोद ले रखा है। कंपेल में 79 हेक्टेयर वन क्षेत्र कक्ष क्रमांक 227 में 2021-22 के दौरान पौधे लगाए। यह पौधा रोपण स्थल तत्कालीन सीसीएफ एचएस मोहंता ने गोद लिया। दस्तावेजों में यहां दूसरे साल 8 लाख 30 हजार 591 और निदाई-गुड़ाई पर 78 हजार 750 रुपये खर्च किए। लगभग 79 हजार पौधे रोपे गए थे, लेकिन कुछ पौधे नष्ट हो चुके हैं। दो साल में 2 करोड़ 34 लाख रुपये पौधे लगाने से लेकर खाद-मिट्टी, गड्ढे खोदने पर खर्च किए गए। दिसंबर 2023 में सीसीएफ नरेंद्र सनोडिया ने दौरा किया तो कंपेल में पौधों की जगह घास नजर आई। इस पर सीसीएफ काफी नाराज हुए। मामले में डीएफओ ने इंदौर रेंजर, डिप्टी रेंजर, बीट गार्ड को नोटिस दिया। बाद में घास की कटाई करवाई गई। मामला यहीं नहीं थमा। शिकायत पीसीसीएफ महेंद्र सिंह धाकड़ से हुई। पौधारोपण में भ्रष्टाचार पर गंभीरता दिखाते हुए सीसीएफ उज्जैन को जांच सौंपी। मगर महीने भर बीतने के बावजूद उन्होंने जांच नहीं की। शिकायतकर्ता शंकर नाइक ने लोकायुक्त में सारे प्रमाण सौंप दिए। तत्कालीन सीसीएफ मोहंता ने पौधारोपण को गोद लिया। इसके बाद समय-समय पर तत्कालीन डीएफओ नरेंद्र पंडवा भी दौरा करते रहे। मगर उन्होंने इस बारे में कभी वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी नहीं दी। वैसे 2021-22 में पौधे लगाने की जिम्मेदारी डिप्टी रेंजर जगदीश मालवीय को दी। इंदौर रेंजर जयवीर सिंह और एसडीओ केके निनामा में निरीक्षण भी किया। बावजूद इसके व्यय शाखा के क्लर्क यतेंद्र शर्मा ने बिल-वाउचर पास कर दिए। पूरे मामले को अफसरों ने डेढ़ साल तक दबाए रखा।