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खनिज ब्लॉक मिलने के बाद खनन की प्रक्रिया शुरू होने में लगने वाले समय को कम करने के लिए मप्र खनिज विभाग ने पहली बार एक प्रयोग किया है। राजधानी में सोमवार को खनिज लीजहोल्डर, उनके कंसलटेंट, वन-राजस्व जैसे विभागों और राज्य-केंद्र की एजेंसियों को साथ लेकर आयोजन किया गया। इसमें माइनिंग प्लान से लेकर पर्यावरण अनुमति जैसे सभी विषयों पर एक्सपर्ट ने जानकारी साझा की।

यह भी बताया गया कि अब अनुमतियों की प्रक्रिया सालों तक नहीं चल सकेगी। केंद्र नया संशोधन ला रहा है। इसके मुताबिक, तय सीमा में माइनिंग प्लान, वन-पर्यावरण जैसी अनुमति नहीं ली तो खनन ठेकेदार पर पेनल्टी लगेगी।

प्रशासन अकादमी में हुए आयोजन में खनन सेक्टर, सरकारी अधिकारी और कंसलटेंट शामिल हुए। खनिज ब्लॉक नीलामी में मिलने के बाद से पर्यावरण, वन और राजस्व जैसे विभागों से अनुमति की क्या प्रक्रिया है, उस पर जानकारी साझा की गई, ताकि अनावश्यक देरी न हो। वन अधिकारियों ने बताया कि फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट में खनन अनुमति के लिए परिवेश पोर्टल पर क्या-क्या जानकारी देना आवश्यक है।

माइनिंग प्लान से लेकर पर्यावरण अनुमति जैसे विषयों पर एक्सपर्ट ने दी जानकारी

छोटी-छोटी गलतियों से रुकते हैं माइनिंग प्लान

इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस के जबलपुर के अधिकारियों ने माइनिंग प्लान के बारे में तकनीकी जानकारी दी। सीनियर माइनिंग जियोलॉजिस्ट माधवराव साबरे ने कहा कि नीलामी के बाद 90 दिनों में माइनिंग प्लान अप्रूव हो जाना चाहिए, पर छोटी-मोटी गलतियों से यह अटक जाता है। जैसे बाउंड्री पिलर के कोऑर्डिनेट गलत दे दिए और जल्दबाजी में पूरे दस्तावेज नहीं ​दिए।

देश में पहली बार ऐसा प्रयोग: प्रमुख सचिव

प्रमुख सचिव खनन उमाकांत उमराव ने कहा कि देश में पहली बार यह प्रयोग हुआ है, जहां खनन से जुड़े स्टेकहोल्डर के साथ बैठकर जानकारी दी गई है। खनिज ब्लॉक की नीलामी के बाद खनन शुरू करने तक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बना हुआ है। गलतियां होने पर अनुमतियां 4 से 5 साल तक नहीं मिल पातीं। इन्हें दूर करने के लिए यह प्रयोग हुआ है।

केंद्र कर रहा पेनल्टी के संशोधन की तैयारी

केंद्र खनन अनुमति नियमों में संशोधन की तैयारी कर रहा है। इसके मुताबिक, खनन लाइसेंस मिलने के 3 साल के अंदर माइनिंग प्लान की स्वीकृति, वन और पर्यावरण की सहमति लेनी होगी। यदि इस अवधि में ये अनुमतियां नहीं मिल सकीं तो सिर्फ दो साल का ही एक्सटेंशन मिल पाएगा। अभी सालों तक अनुमतियों की प्रक्रिया चलती रहती है। माइनिंग प्लान के लिए 4 महीने का समय होगा। 6 माह तक अनुमति नहीं ली तो सिक्योरिटी राशि का 5% और उसके बाद हर 6 महीने पर 2% पेनल्टी लगेगी। पर्यावरण अनुमति 18 महीने में और 11 महीने के अंदर माइनिंग लीज का पालन नहीं करने पर पेनल्टी लगेगी।

वन और पर्यावरण अनुमति में देरी

आयोजन में आए लीजहोल्डर्स ने कहा कि सबसे अधिक परेशानी वन विभाग से और पर्यावरण अनुमति लेने में आती है। इन विभागों से आए अधिकारियों ने कहा कि छोटी-मोटी तकनीकी जानकारी गलत भरने और पूरे दस्तावेज नहीं देने से ये सहमतियां अटकती हैं। इन्हें सुधारकर जल्द अनुमति मिल सकती है।