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दिवाली पर पटाखों के विकल्प में चलाई गई देसी कार्बाइड गन से मध्य प्रदेश में अब तक 300 लोगों की आंखें जख्मी हुई हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार, करीब 50% मरीजों की आंखों की रोशनी फिलहाल जा चुकी है। इनकी आंखों के सामने सिर्फ वार्म व्हाइट लाइट का गोला ही नजर आ रहा है।

एमनियोटिक मेम्ब्रेन इम्प्लांट और टिशू ग्राफ्टिंग जैसी प्रक्रिया से आंखों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। अंतिम उपाय कॉर्निया ट्रांसप्लांट ही होगा, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी कॉर्निया मिलना मुश्किल है।

भोपाल की बात करें तो अलग-अलग अस्पतालों में ऐसे 162 लोग पहुंचे हैं। ग्वालियर, इंदौर, विदिशा समेत कई जगहों पर ऐसी घटनाओं में 7 से 14 साल तक के बच्चे प्रभावित हुए हैं। बड़ी संख्या में लोगों का नुकसान होने के बाद प्रशासन की नींद खुली और कार्बाइड गन बेचने-खरीदने और स्टॉक रखने पर गुरुवार रात रोक लगाई। भोपाल और ग्वालियर में गन बेचते मिले दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

ICMR ने दो साल पहले चेतावनी दी थी हादसों के बीच यह भी पता चला है कि इस कार्बाइड गन को सोशल मीडिया पर बंदर भगाने के देसी जुगाड़ के रूप में वायरल किया गया था। इस जुगाड़ सिस्टम को लेकर 2023 में ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) भोपाल ने चेतावनी दी थी।

संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में बताया था कि कैल्शियम कार्बाइड और पानी के केमिकल रिएक्शन से बनने वाली गैस ‘एसिटिलीन’ सिर्फ धमाका नहीं करती, बल्कि आंखों की रोशनी तक छीन लेती है। यह स्टडी इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थेलमोलॉजी में प्रकाशित भी हुई थी। इसके बाद भी समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए।

उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने शुक्रवार सुबह करीब 7 बजे हमीदिया अस्पताल पहुंचकर कार्बाइन गन से घायल युवाओं और बच्चों का हाल जाना। उन्होंने डॉक्टरों से घायलों के स्वास्थ्य की जानकारी ली और उनके उपचार की लगातार मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। शुक्ला करीब एक घंटे तक अस्पताल में रहे।

डॉक्टरों ने जानकारी दी कि दुर्घटना में घायल कुल 37 मरीजों में से 32 को जरूरी इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। 5 मरीजों का उपचार अभी जारी है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध रूप से पटाखा निर्माण या विस्फोटक सामग्री रखने वालों की सघन जांच की जा रही है। दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग के पास बच्चों के आंकड़े नहीं अलग-अलग अस्पतालों से आई जानकारी के अनुसार भोपाल में अब तक कार्बाइड गन से प्रभावित लोगों के 162 केस सामने आए हैं। इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग अब तक अलर्ट नहीं हुआ है। हालत यह है कि विभाग ने आधिकारिक आंकड़ा तक जारी नहीं किया है।

भोपाल के सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा को फोन किया गया तो उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में होने की बात कही।