भोपाल। देर रात भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक किया। इस ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया। हमले में बड़ी संख्या में आतंकियों के मारे जाने की खबर है। इसके बाद आज मध्य प्रदेश के पांच जिलों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और कटनी में शाम 4 बजे विशेष सायरन के साथ पहले से तय मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी। यह ड्रिल युद्ध जैसे हालात में नागरिक सुरक्षा और आपातकालीन तैयारियों की जांच के लिए होगी
सायरन बजते ही लोगों को घरों की लाइट बंद करने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की घोषणा की जाएगी। केंद्र सरकार के निर्देश पर 1971 के युद्ध के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर यह अभ्यास हो रहा है। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाक तनाव को देखते हुए देश के 244 जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है।
मध्य प्रदेश के इन पांच जिलों को सुरक्षा और रणनीतिक महत्व के आधार पर चुना गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन ने तैयारियों की समीक्षा की और कलेक्टरों व पुलिस अधीक्षकों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए।
मॉक ड्रिल का उद्देश्य और महत्व
- मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य युद्ध या आपात स्थिति में आम नागरिकों, प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों को तैयार रखना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों, खासकर पहलगाम हमले के बाद बने तनाव को देखते हुए यह अभ्यास जरूरी है।
- भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में रक्षा से जुड़े प्रमुख संस्थान और मुख्यालय हैं, जबकि कटनी एक महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन है। पुलिस मुख्यालय के अनुसार, इन जिलों को युद्ध की स्थिति में सुरक्षा की दृष्टि से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना गया है।
- ड्रिल के दौरान आम लोगों में भय न फैले, इसके लिए कलेक्टरों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे नागरिकों को जागरूक करें, लेकिन घबराहट या सामान जमा करने की स्थिति न बनने दें।
मॉक ड्रिल में क्या होगा?
- मॉक ड्रिल के दौरान युद्ध जैसे हालात का अनुकरण किया जाएगा। विशेष सायरन की आवाज, जो पुराने फायर ब्रिगेड सायरन जैसी होगी। यह पूरे जिले में सुनाई देगी। पुलिस और प्रशासन सार्वजनिक घोषणा के जरिए लोगों को सतर्क करेगा।
- नागरिकों से घरों की बिजली तुरंत बंद करने को कहा जाएगा, क्योंकि युद्ध में दुश्मन देश रोशनी से आबादी वाले क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं। बड़े भवनों से लोगों को सुरक्षित निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाएगा। घायलों को बचाने और राहत पहुंचाने की प्रक्रिया का भी अभ्यास होगा।
- छात्रों और नागरिकों को बचाव प्रशिक्षण दिया जाएगा। बिजली, पानी और ईंधन की आपूर्ति की तैयारियों की जांच होगी। ड्रिल की अवधि कलेक्टर तय करेंगे और समाप्ति पर सामान्य स्थिति की घोषणा के लिए अलग सायरन बजेगा।
ड्रिल के बाद भी रहेंगी तैयारियां
- मॉक ड्रिल के बाद भी संबंधित विभागों को अपनी तैयारियां मजबूत रखनी होंगी। सायरन और उद्घोषणा प्रणाली को सुदृढ़ करना, अस्पतालों को आपात स्थिति के लिए तैयार रखना, नगरीय निकायों को पानी और बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करना और तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल का रिजर्व रखना होगा।
- साइबर हमलों से निपटने की तैयारियां भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को बताया कि यह ड्रिल दुर्घटना या युद्ध जैसी स्थिति में नागरिकों को सुरक्षित निकालने और राहत पहुंचाने की क्षमता को परखने का अवसर है।
नागरिकों से सहयोग की अपील
प्रशासन ने नागरिकों से मॉक ड्रिल में सहयोग करने और घबराहट से बचने की अपील की है। यह अभ्यास न केवल सुरक्षा बलों, बल्कि आम लोगों को भी आपात स्थिति के लिए तैयार करने का प्रयास है। ड्रिल के दौरान यातायात और अन्य व्यवस्थाओं पर भी ध्यान दिया जाएगा ताकि सामान्य जनजीवन प्रभावित न हो।