कानपुर लोकसभा सीट में चौथे चरण का चुनाव प्रत्याशी की घोषणा को लंबा खींच सकता है। इसका कारण पार्टी की परंपरा है। हमेशा खींचतान में फंसी रहने वाली कानपुर लोकसभा सीट पर ज्यादातर प्रत्याशी की घोषणा नामांकन के ठीक पहले होती रही है।

पार्टी में इस समय आधा दर्जन दावेदारों के नाम चर्चा में हैं और इन नेताओं का आवागमन इस समय दिल्ली बढ़ चुका है।

कानपुर बुंदेलखंड में मात्र कानपुर लोकसभा सीट ही बची है जहां भाजपा ने अब तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। सामान्य तौर पर नामांकन के कुछ समय पहले प्रत्याशियों की घोषणा करने वाली पार्टी ने इस बार अपनी परिपाटी बदली है और आचार संहिता लागू होने से पहले ही 10 में से नौ सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं।

कानपुर में चौथे चरण में होगा मतदान

कानपुर का चुनाव चौथे चरण में होने की वजह से माना जा रहा है कि यहां प्रत्याशी की घोषणा अभी लंबी खिंच सकती है। यहां नामांकन 18 अप्रैल से शुरू होगा जिसमें एक माह बाकी है लेकिन दावेदारों के दिल की धड़कन इस समय काफी तेज दौड़ रही है।

यहां दावेदारों में सांसद सत्यदेव पचौरी के अलावा विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, विधायक सुरेन्द्र मैथानी, महेश त्रिवेदी तो हैं ही। महापौर चुनाव में टिकट पाते-पाते रह गईं नीतू सिंह का नाम भी चर्चा में है। पूर्व विधायक अजय कपूर के पार्टी से जुड़ने के बाद अब इस दौड़ में उनका नाम भी शामिल किया जाने लगा है।

कानपुर बुंदेलखंड के संसदीय क्षेत्रों के घोषित टिकटों में शामिल न होने की वजह से यहां को लेकर दावेदार कुछ ज्यादा गंभीर हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि थोड़ा सा प्रयास उनको दूसरों से आगे कर सकता है।