भोपाल। एमपी में पटवारी परीक्षा में धांधली के आरोपों पर उम्मीदवारों के विरोध के बाद पटवारियों की नई नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई है। प्रदेशभर में हजारों स्टूडेंट्स के विरोध के बाद राज्य सरकार ने ये फैसला लिया है। सीएम शिवराजसिंह चौहान ने विधायक के विवादास्पद सेंटर के रिजल्ट की फिर जांच की बात भी कही है। इधर पटवारी परीक्षा निरस्त कर फिर नए सिरे से पटवारी परीक्षा कराए जाने की भी बात सामने आई है।
राजधानी भोपाल और इंदौर सहित प्रदेश के कई शहरों में पटवारी भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के खिलाफ हजारों स्टूडेंट्स ने प्रदर्शन किए। इसके बाद सीएम शिवराजसिंह चौहान ने परीक्षा के आधार पर पटवारियों की नई नियुक्तियों पर रोक लगा दी।
मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल एमपीईएसबी ने ग्रुप-2 (सब ग्रुप-4) और पटवारी भर्ती परीक्षा कराई थी। इसमें करीब 10 लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे। मार्च अप्रैल में हुई पटवारी भर्ती में धांधली के आरोप हैं। सत्तारूढ़ भाजपा के भिंड विधायक संजीव सिंह कुशवाहा के कॉलेज में बने परीक्षा सेंटर से टॉप टेन में 7 परीक्षार्थी ‘टॉपर्स बन गए। इतना ही नहीं, इसी सेंटर से 114 उम्मीदवारों का चयन हो गया। यही कारण है कि उम्मीदवार नाराज हो उठे जिससे सीएम को नियुक्तियां रोककर जांच का आश्वासन देना पड़ा। सीएम के इस निर्णय के बाद कांग्रेस ने कहा कि नियुक्तियां रोककर सरकार ने ये मान लिया कि पटवारी परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली हुई। कांग्रेस ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि यह व्यापमं जैसा बड़ा घोटाला है और कांग्रेस प्रदेश भर के उम्मीरवारों का पूर्ण समर्थन करती है।
इधर प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि वर्तमान परीक्षा प्रणाली से प्रदेश के छात्र-छात्राओं का विश्वास उठ गया है। एमपी के लाखों युवाओं ने दिन-रात मेहनत कर परीक्षा दी थी। प्रदर्शनकारियों ने धांधली के बाद परीक्षा को निरस्त करने की भी मांग की। उम्मीदवारों का कहना है कि सरकार नए सिरे से ऑफलाइन परीक्षा लेकर पटवारियों की भर्ती करे। कांग्रेस ने भी उम्मीदवारो की इस मांग का समर्थन किया है।