कालाष्टमी के दिन जरूर पढ़े यह कथा
आप सभी तो जानते ही होंगे कालभैरव को शिव जी के रुद्र अवतारों में से एक माना जाता है। इसी के चलते कालाष्टमी शिवभक्तों के लिए खास होती है। जी दरअसल हर महीने कृष्णपक्ष की अष्टमी को ही कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इसको कालाष्टमी या काल भैरव जयंती के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि इस बार काल भैरव जंयती 16 नवंबर 2022 यानी बुधवार को मनाई जाने वाली है।
कालाष्टमी शुभ मुहूर्त- उदयातिथि के अनुसार, कालभैरव जयंती इस बार 16 नवंबर, बुधवार को मनाई जाएगी। इस बार काल भैरव जयंती मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाएगी। कालभैरव जयंती की शुरुआत 16 नवंबर को सुबह 05 बजकर 49 मिनट से हो रही है। इसका समापन 17 नवंबर को सुबह 07 बजकर 57 मिनट पर होगा।
कालाष्टमी पौराणिक कथा- जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि शिव शंकर के क्रोध से ही भैरव देव का जन्म हुआ था। एक पौराणिक कथा के अनुसार, 'एक समय की बात है जब ब्रह्मा, विष्णु और महेश, तीनों देवों में इस बात को लेकर बहस छिड़ गई कि उनमें से सबसे पूज्य कौन है? उनके इस विवाद का कोई निष्कर्ष निकले, ऐसा सोचकर इस बहस के निवारण के लिए उन्होंने स्वर्ग लोक के देवताओं को बुला लिया और उनसे ही इस बात का फ़ैसला करने को कहा। इसी बीच भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा में कहासुनी हो गई। इसी बहस में शिव जी को इस कदर गुस्सा आ गया कि उन्होंने रौद्र रूप धारण कर लिया। माना जाता है कि उसी रौद्र रूप से ही भैरव देव का जन्म हुआ था। अपने इसी रौद्र रूप, भैरव देव के रूप में शिव जी ने ब्रह्मा जी के पांच सिरों में से एक सर को काट दिया और तभी से ब्रह्मा जी के केवल चार ही सिर हैं।'