लखनऊ । हिंदू धर्म पर लगातार विवादित बयान देने वाले समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर पार्टी में घमासान मचा हुआ है। पिछले हफ्ते, पार्टी की बैठक में विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव के सामने मुद्दा उठाया था और बाद में उन्हें आश्वासन दिया गया कि स्वामी प्रसाद मौर्य को धार्मिक मुद्दों पर टिप्पणी करने से परहेज करने के लिए कहा गया है।
हालांकि, अगले दिन, मौर्य ने कार सेवकों पर टिप्पणी करते हुए उन्हें असामाजिक तत्व करार दिया। सपा के वरिष्ठ विधायक राकेश प्रताप सिंह और समरपाल सिंह ने अब पार्टी नेतृत्व से मौर्य के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। दरअसल, सिंह पिछले हफ्ते पूजा-अर्चना के लिए अयोध्या गए थे और ट्रस्ट के पदाधिकारी चंपत राय से मुलाकात की थी। ब्राह्मण समुदाय के एक अन्य सपा विधायक ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है, कि मौर्य कुछ निहित स्वार्थों के इशारे पर काम कर रहे हैं, जो आगामी लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। जब वह योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री थे, तब उन्होंने इन मुद्दों पर कभी एक शब्द भी नहीं बोला।
विधायक ने कहा कि मौर्य के व्यवहार पर अखिलेश की चुप्पी एक बड़ी परेशानी है और स्वाभिमानी हिंदू चाहते हैं कि पार्टी नेतृत्व इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण दे। दिलचस्प बात यह है कि मौर्य को अभी तक अपने बयानों के लिए सपा के भीतर ओबीसी नेताओं से कोई समर्थन नहीं मिला है और यहां तक कि बहुजन समाज पार्टी के उनके पूर्व सहयोगियों ने भी उनसे दूरी बना ली है। हिंदुओं के खिलाफ मौर्य के रुख का इस्तेमाल बीजेपी समाजवादी पार्टी पर निशाना साधने के लिए कर रही है।
उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने कहा, स्वामी प्रसाद मौर्य वहीं बोल रहे हैं, जो अखिलेश उनसे कह रहे हैं। अगर मौर्य खुद ही ये बयान दे रहे हैं, तब अखिलेश को उन्हें पार्टी महासचिव के पद से हटाने से कौन रोक रहा है? मौर्य की टिप्पणी से कांग्रेस भी नाराज है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, यह एक महत्वपूर्ण समय है, जब राम मंदिर का द्वार खुलने को तैयार है। कोई भी हिंदू विरोधी नहीं दिखना चाहता और मौर्य की तीखी टिप्पणी से गलत संदेश जाना तय है। अखिलेश को इस पर रोक लगाने के लिए कदम उठाना चाहिए, क्योंकि उनके मतदाता भी हिंदू हैं।