लखनऊ । राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा स्कूलों में रामायण और महाभारत पढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि क्या एनसीआरटी द्रौपदी जैसी अन्य तमाम देवियों के चीरहरण को बढ़ावा देना चाहती है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि यद्यपि आज वैसे ही बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा व महिला उत्पीड़न की घटनाएं हो रही हैं। दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज के लोगों पर पेशाब करना व मल-मूत्र का लेपन करना, समय से फीस न जमा करने पर बच्चों की पिटाई कर मौत की नींद सुला देना। कहीं महिलाओं के साथ सामूहिक दुराचार की घटना के बाद हत्या कर लाश को टुकड़े-टुकड़े कर देना और कालेज व विश्वविद्यालय परिसर में भी यदा-कदा छात्राएं अपमानित होने के फलस्वरूप आत्महत्या करने के लिए मजबूर होने की घटनाएं प्रकाश में आती रहती है।
क्या एनसीईआरटी व सरकार, रामायण व महाभारत को पाठयक्रम में शामिल कर सीता, शूर्पणखा व द्रोपदी जैसी महान देवियों को क्रमशः अग्नि परीक्षा के बाद भी परित्याग, वैवाहिक प्रस्ताव पर नाक-कान काटने की त्रासदी व द्रोपदी जैसी अन्य तमाम देवियों के चीरहरण को बढ़ावा देना चाहती है? एक ने भाई को भाई से लड़ाने का काम तो दूसरे ने भाईयों-भाईयों को आपस में लड़ाया। क्या सरकार पारिवारिक विघटन को और भी बढ़ावा देने की पक्षधर है ? यदि रही बात पाठ्यकम में देश के हीरो को पढ़ाने की तो वर्तमान राष्ट्र के महान वीर सपूतों, राष्ट्र निर्माताओं और नायकों को एनसीईआरटी पाठयक्रम में लाएं। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोष, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर, रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, वीरांगना ऊदा देवी, चन्द्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, अशफाक उल्ला खां, पं. राम प्रसाद विस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, वीर ऊधम सिंह जैसे आदि महानायकों को शामिल किया जा सकता है। अब फिर से शम्बूक का सिर व एकलव्य का अंगूठा न काटा जाए इस बात को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है।