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नगर निगम का मुख्यालय बनते ही उसमें नगर निगम के सभी ऑफिस शिफ्ट हो जाएंगे। इसके बाद नगर निगम आईएसबीटी का परिषद हॉल समेत सभी भवनों को किराए पर देगा। अभी माता मंदिर, पीएचई दफ्तर, लिंक रोड नंबर-3, आईएसबीटी, न्यू मार्केट, आचार्य नरेंद्रदेव पुस्तकालय, श्यामला हिल्स, शाहपुरा व पुराने शहर के फतेहगढ़ में 4 अलग-अलग भवन में निगम के दफ्तर हैं।

हालांकि अभी सिर्फ परिषद हॉल के लिए ही गाइडलाइन बनाई गई है। उसका एक दिन का किराया 50 हजार रुपए रखा गया है। इसमें किसी भी तरह के धार्मिक, राजनैतिक, शादी और जन्मदिन आदि के कार्यक्रम नहीं होंगे। सभा गृह में खाना-पीना, चाय, नाश्ता, धूमपान एवं शराब प्रतिबंधित रहेगा।

ज्यादातर खाली रहता है हॉल : आईएसबीटी स्थित परिषद सभागृह में 2 माह में एक बार परिषद की बैठक होने का प्रावधान है। यह सभागृह बैठक के बाद खाली रहता है। सभागृह को इस अवधि में शासकीय या अशासकीय अथवा प्राइवेट सेक्टर को मीटिंग, सेमिनार आदि प्रयोजन के लिए दिया जाता है, तो इससे नगर निगम को राजस्व मिलेगा। इस राशि से ही इसका संचालन और रखरखाव होगा। इसे 50 हजार रुपए प्रति दिन के किराए से जोनल अधिकारी के माध्यम से लिया जा सकेगा।

ये रहेंगी नियम शर्तें

आयोजन की तारीख से 15 दिन पहले जोनल अधिकारी के जोन कार्यालय में आवेदन धरोहर राशि 10 हजार रुपए के साथ जमा करना अनिवार्य होगा।

सभागृह के रखरखाव का पूरी जिम्मेदारी संबंधित आवंटी का होगी।

सभागृह के आरक्षण का अधिकार आयुक्त, नगर निगम का होगा।

आरक्षण सुनिश्चित हो जाने के बाद यदि किसी अपरिहार्य कारणों से आयोजन रद्द होता है, तब ऐसी दशा में जमा राशि का 25 प्रतिशत निगम हित में अभिग्रहीत कर शेष राशि वापसी योग्य होगी।

सभा गृह का आरक्षण 7 दिन से अधिक अवधि के लिए नहीं किया जाएगा।

आयुक्त, नगर पालिका निगम, भोपाल के पास बिना किसी पूर्व सूचना के आरक्षण निरस्त करने का अधिकार सुरक्षित रहेगा। ऐसी स्थिति में जमा राशि वापिस की जायेगी।

– सभा गृह में खाना-पीना, चाय, नाश्ता, धूमपान एवं शराब प्रतिबंधित रहेगा।

रवींद्र भवन ऑडिटोरियम का चार्ज 57200 रुपए, क्षमता 200 लोग

रवींद्र भवन का 200 लोगों की क्षमता वाला ऑडिटोरियम का एक दिन का किराया 57200 रुपए है। महापौर मालती राय ने दो साल पहले कहा था कि भोपाल में रविंद्र भवन जैसे और भी ऑडिटोरियम बनेंगे। इनमें सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक समारोह बड़े स्तर पर हो सकेंगे। इसके लिए 10 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया है। हालांकि ये बात अलग है कि खुद के ही मुख्यालय में ही परिषद हॉल अब तक नहीं बना पाए हैं।

नगर निगम के 20 से ज्यादा सामुदायिक भवन : नगर निगम अभी 20 से ज्यादा सामुदायिक भवन का संचालन कर रही है। यह जेडओ के अंडर में होते हैं। इनका किराए का निर्धारण राजस्व विभाग कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार करता है।​​​​​​​

निगम मुख्यालय बनने के बाद सभी ऑफिस एक ही छत के नीचे निगम मुख्यालय में आ जाएंगे। उसके बाद हम परिषद हाल ही नहीं नगर निगम के सभी भवनों को किराए पर देंगे। इससे मिलने वाली राशि से इनका रखरखाव पर खर्च किया जाएगा। 

-मालती राय, महापौर भोपाल​​​​​​​