नई दिल्ली: क्रिकेट का कोई भी फॉर्मेट हो, मैच से पहले सभी में टॉस किया जाता है। दोनों टीमों के कप्तान मैच रेफरी के साथ मैच शुरू होने से पहले बीच मैदान पर आते हैं। वहां टॉस होता है। टॉस जीतने वाली टीम का कप्तान यह फैसला करता है कि वह पहले बॉलिंग करेगा या फिर बैटिंग। वैसे तो हर खेल में टॉस होता है लेकिन क्रिकेट में टॉस से मैच के नतीजे पर भी फर्क पड़ता है। बाकी खेलों के साथ ऐसा नहीं है।
टॉस के लिए सिक्के का इस्तेमाल
टॉस के लिए पारंपरिक रूप से सिक्के का इस्तेमाल किया जाता है। मुख्यत: इसमें हेड और टेल होता है। जब सिक्का हवा में होता है तो एक टीम को कोई एक हिस्सा चुनना होता है। जब वही हिस्सा आता है तो वह टीम टॉस जीत जाती है। अगर दूसरा हिस्सा आता है तो विपक्षी टीम टॉस जीतती है। इसके बाद खेल के अनुसार टीम या खिलाड़ी अपना फैसला रेफरी को सुनाते हैं।
बिग बैश में अलग तरीके से टॉस
ऑस्ट्रेलिया में बिग बैश प्रमुख टी20 लीग है। हर साल यह दिसंबर से जनवरी के बीच खेला जाता है। इसमें टॉस का अलग ही नियम है। यहां सिक्के का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। 2018 से इस लीग में बैट से टॉस होता है। सामान्य क्रिकेट बैट में पीछे का हिस्सा निकला होता है। आगे की तरफ से भी थोड़ा कर्व होता है। लेकिन टॉस में इस्तेमाल होने वाला बैट बिल्कुल समाट होता है। इसमें एक तरफ फ्लैट्स और दूसरी तरफ रूफ्स लिखा रहता है।
दोबारा भी टॉस करना पड़ता है
बिग बैश में कई मौकों पर टॉस दोबारा भी करने पड़े हैं। इसकी वजह बल्ले का एज के सहारे खड़े हो जाना है। इस स्थिति में कोई फैसला नहीं हो पाता। फिर दोबारा टॉस होता है और उसके बाद फैसला लिया जाता है। बिग बैश लीग की शुरुआत 2011-12 में हुई थी। इसमें 8 टीमें हिस्सा लेती हैं। होबार्ट हेरिकेंस ने 2024-25 सीजन अपने नाम किया था। सबसे ज्यादा 5 ट्रॉफी पर्थ स्कॉचर्स के नाम है।