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नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन और भारत समेत दुनिया भर के कई देशों से आने वाले सामानों पर टैक्स लगाया है। इसे (Reciprocal tariffs) कहते हैं। उन्होंने कहा कि सभी देशों से आने वाले सामान पर 10% का टैक्स लगेगा। इसे ‘बेसलाइन टैक्स’ कहा जाएगा। इसके साथ ही, ट्रम्प ने कुछ और देशों पर ज़्यादा टैक्स लगाने की बात कही। ये वो देश हैं जो अमेरिका से ज़्यादा सामान बेचते हैं। मतलब, जिनसे अमेरिका का ट्रेड सरप्लस (Trade surplus) नहीं है। आपको हम बता रहे हैं कि रेसिप्रोकल टैरिफ क्या है और किन-किन देशों पर कितना टैक्स लगा है।

क्या है रेसिप्रोकल टैरिफ

Reciprocal Tariffs का मतलब है, जब कोई देश हमारे सामान पर टैक्स लगाता है, तो हम भी उसके सामान पर टैक्स लगाते हैं। रेसिप्रोसिटी एग्रीमेंट में दो देशों के बीच टैरिफ कम किए जाते हैं। लेकिन, ये छूट किसी तीसरे देश को नहीं दी जाती है। मतलब, "एक हाथ दे, एक हाथ ले" वाली बात है। जैसे, अगर भारत अमेरिका से आने वाले सेब पर टैक्स कम करता है, तो अमेरिका भी भारत से आने वाले आम पर टैक्स कम करेगा। पर ये फायदा सिर्फ भारत और अमेरिका के बीच ही रहेगा। ट्रंप का कहना था कि ये टैक्स इसलिए जरूरी हैं ताकि अमेरिका के उद्योगों को बचाया जा सके। उनका मानना था कि दूसरे देश अमेरिका के साथ ठीक से व्यापार नहीं कर रहे हैं। उनके शब्दों में… इसलिए, "हमें भी उन पर टैक्स लगाना होगा।"

अमेरिका में बढ़ेंगे सामानों के दाम

ट्रंप के इन टैक्सों की वजह से कई चीजों के दाम बढ़ गए थे। जैसे, स्टील और एल्युमीनियम जैसी चीजें महंगी हो गईं। इससे उन कंपनियों को नुकसान हुआ जो इन चीजों का इस्तेमाल करती थीं। इन सामानों के इंड यूजर्स को भी इससे नुकसान होगा क्योंकि उन्हें महंगी चीजें खरीदनी होंगी।

ये टैक्स अमेरिका के लिए अच्छे नहीं हैं?

न्यूज एजेंसी रायटर ने अमेरिका के कुछ कुछ लोगों से बात कर एक खबर दी है। इसमें कुछ लोगों का मानना है कि ये टैक्स अमेरिका के लिए अच्छे नहीं हैं। उनका कहना है कि इससे व्यापार युद्ध शुरू हो सकता है। व्यापार युद्ध का मतलब है जब कई देश एक दूसरे के सामान पर टैक्स लगाते हैं। लेकिन, ट्रंप का कहना था कि ये टैक्स जरूरी हैं। उनका मानना था कि इससे अमेरिका को फायदा होगा। उन्होंने कहा, "हमें अपने उद्योगों को बचाना होगा, चाहे कुछ भी हो जाए।"