Spread the love

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संयुक्त राष्ट्र (UN) को मिलने वाले 19 हजार करोड़ का फंड रोक रखा है। इसमें से कुछ पैसा बाइडेन प्रशासन के कार्यकाल का भी है।

ट्रम्प के फंड नहीं देने से UN कंगाली के मुहाने पर खड़ा है। बजट संकट इतना गंभीर है कि अगर हालात नहीं बदले, तो 5 महीने के बाद कर्मचारियों को तनख्वाह देने के पैसे भी नहीं होंगे।

बजट संकट के चलते UN अपने कई विभागों से 3000 कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बना रहा है। इसके अलावा, यूएन नाइजीरिया, पाकिस्तान और लीबिया जैसे देशों में कर्मियों की संख्या 20 फीसदी तक घटाएगा।

बता दें कि UN का 2025 का कुल बजट करीब 32 हजार करोड़ का है।

फंड नहीं दिया तो अमेरिका को 2027 तक वोटिंग का अधिकार नहीं

अमेरिका अगर इस साल भी अपनी जरूरी वित्तीय मदद नहीं चुकाता तो 2027 तक उसे संयुक्त राष्ट्र महासभा में वोट देने का अधिकार गंवाना पड़ सकता है।

UN चार्टर के अनुच्छेद 19 के मुताबिक, कोई भी सदस्य देश जो दो साल तक अपनी अनिवार्य सदस्यता शुल्क का भुगतान नहीं करता तो वह महासभा में वोटिंग का अधिकार खो देता है।

ईरान, वेनेजुएला, जैसे देशों को अनिवार्य भुगतान न करने के कारण वोटिंग अधिकार गंवाना पड़ा है। हालांकि, ऐसा होने पर UN की साख को भी झटका लग सकता है।

UN के बजट में चीन की हिस्सेदारी 20% है। चीन ने बीते साल हिस्सेदारी देने में देरी की। 2024 में उसका फंड 27 दिसंबर को आया। यूएन उस फंड को खर्च नहीं कर सका।

नियमों के तहत पैसा खर्च न होने पर उसे सदस्य देशों को वापस करना पड़ता है।

बीते वर्ष 41 देशों पर 7 हजार करोड़ की राशि बकाया रही

संयुक्त राष्ट्र को मिलने वाला पैसा सदस्य देशों की आर्थिक क्षमता के अनुसार तय होता है। यह फंडिंग आमतौर पर साल की शुरुआत यानी जनवरी में मिल जानी चाहिए, लेकिन 2024 में करीब 15% भुगतान दिसंबर तक नहीं आया।

2024 में सात हजार करोड़ रुपए की राशि 41 देशों पर बकाया रही। इसमें अमेरिका, अर्जेंटीना, मेक्सिको और वेनेजुएला जैसे देश शामिल हैं।

इस साल अब तक केवल 49 देशों ने समय पर भुगतान किया है। बाकी देशों ने फंड को लेकर चुप्पी साध रखी है।

बीते वर्ष 80 साल पुराने संगठन संयुक्त राष्ट्र को बजट और नकदी के स्तर पर कुल 1,660 करोड़ का सीधा घाटा हुआ। यह घाटा तब हुआ जब यूएन ने अपने कुल बजट का 90 फीसदी ही खर्च किया था।

UN के इंटरनल ऑडिट के मुताबिक अगर एजेंसी ने कटौतियां नहीं की तो इस साल के अंत तक घाटा 20 हजार करोड़ रुपए तक जा सकता है।