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भोपाल। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने संविदाकर्मियों के स्थान परिवर्तन की नीति जारी की है। इस नीति के प्रविधानों के अधीन उन्हें इधर से उधर किया जा सकेगा। हालांकि, जैसी नीति है, उसके अनुसार बड़े स्तर पर बदलाव नहीं हो पाएंगे। पहली बड़ी शर्त यह लगाई गई है कि जिला या अंतरजिला स्थानांतरण में संबंधित पद की कुल संख्या में से 10 प्रतिशत को ही इधर से उधर किया जा सकेगा। दूसरी बड़ी शर्त यह है कि एक बार स्थान परिवर्तन होने के बाद पांच वर्ष तक वह कर्मचारी परिवर्तन के लिए पात्र नहीं होगा।

  • बता दें कि इस विभाग में अधिकतर कर्मचारी पंचायतों में काम करने वाले संविदाकर्मी होते हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों में संविदाकर्मियों को रखा गया है।
  • नीति में यह भी साफ किया गया है कि संविदाकर्मियों को पदस्थापना स्थल को संशोधित करने की कोई नीति नहीं है, सिर्फ अपवादस्वरूप ही स्थान परिवर्तन किया जा सकेगा।
  • नए नियम के अनुसार, विवाहित, विधवा एवं तलाकशुदा महिला कर्मचारियों का ऐसे जिले में स्थानांतरण किया जा सकेगा, जिसमें उसका ससुराल या स्वयं का परिवार रहता है।
  • स्वयं अथवा आश्रितों को कैंसर या ब्रेन ट्यूमर होने पर और समान पद पर कार्यरत संविदाकर्मियों के परस्पर स्थान परिवर्तन के स्वैच्छिक आवेदन पर स्थानांतरण किया जाएगा।

  • स्थान परिवर्तन की ये शर्तें होंगी

    • नए नियम के अनुसार, कर्मचारियों के स्थान परिवर्तन करने पर पूर्व संविदा अनुबंध समाप्त किया जाएगा। नवीन कार्य स्थल पर नियोक्ता द्वारा नया अनुबंध किया जाएगा।
    • परिवर्तन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण नीति में निर्धारित अवधि में ही किए जा सकेंगे।
    • स्थान परिवर्तन आदेश जारी होने के दो सप्ताह के भीतर संविदाकर्मी को कार्यमुक्त होकर नए स्थान पर एक सप्ताह में नया अनुबंध करना होगा।
    • नए स्थान पर जाने वाले को किसी प्रकार की यात्रा भत्ता, अन्य भत्ते और अवकाश की पात्रता नहीं होगी।
    • एक से 30 मई तक जिले के भीतर परिवर्तन कलेक्टर के द्वारा प्रभारी मंत्री के अनुमोदन पर किया जाएगा। आदेश सीईओ जिला पंचायत जारी करेंगे।