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भोपाल के एमपी नगर में 50 साल पुराने नाले पर प्री-कास्ट तकनीक से रेलवे के अंडरपास जैसा स्ट्रक्चर बनना है। इसके लिए पीडब्ल्यूडी ने 2 बार टेंडर निकाले, लेकिन ऐसा स्ट्रक्चर बनाने के लिए कोई नहीं आया और टेंडर कैंसिल हो गए। अब तीसरी बार टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गई है। स्ट्रक्चर नहीं बनने से हर रोज 5 लाख से ज्यादा लोग परेशान हो रहे हैं।

बता दें कि बोर्ड ऑफिस चौराहे से एमपी नगर चौराहे के बीच की सड़क 17 जुलाई को नाले के ऊपर बनी सड़क धंस गई थी। इसे अगले दो से तीन दिन में ठीक किया गया तो अगले हिस्से की सड़क धंसने लगी। तभी से आधी सड़क पर बेरिकेडिंग की गई है। इस वजह से कई बार जाम की स्थिति भी बनती है। इसे लेकर पीडब्ल्यूडी ने प्लान तैयार किया और टेंडर की प्रक्रिया शुरू की।

प्लान बनाया कि इस पर रेलवे के अंडरपास जैसा ही स्ट्रक्चर बनाया जाए। पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर संजय मस्के ने बताया, इस तकनीक के जरिए काम होने से 3 से 4 दिन ही लगेंगे। इससे सड़क ज्यादा दिन के लिए बंद नहीं करना पड़ेगी, लेकिन यदि मौके पर ही सीमेंट क्रंकीट से स्ट्रक्चर बनाते हैं तो इसमें ढाई से तीन महीने का समय लग सकता है। ऐसे में ट्रैफिक बंद रहेगा और लाखों लोगों को परेशानी हो सकती है।

इसलिए इस तकनीक पर प्रोजेक्ट बनाया। दो बार टेंडर भी निकाले गए, लेकिन प्रक्रिया में किसी ने भाग नहीं लिया। अब फिर से टेंडर प्रक्रिया कर रहे हैं। चीफ इंजीनियर मस्के का कहना है कि इस तकनीक में रेलवे के अंडरपास की तरह 32 बॉक्स बनाकर रखे जाएंगे। जिनकी ऊंचाई ढाई मीटर और इतनी ही चौड़ाई रहेगी। इस पर कुल 95 लाख रुपए खर्च होंगे। प्री-कास्ट बॉक्स से सिर्फ 3 से 4 दिन में ही ट्रैफिक दौड़ने लगेगा।

इसलिए काम से इनकार अफसरों ने बताया कि प्री-कास्ट के बॉक्स कहीं और बनेंगे। जिन्हें मौके पर लाया जाएगा। इससे ठेकेदार का काम बढ़ जाएगा। दो जगह पर उसे काम करना पड़ेगा। इसलिए ठेकेदार काम लेने से बच रहे हैं।

50 साल पुराने नाले के ऊपर बनी सड़क धंसी थी बोर्ड ऑफिस चौराहे से एमपी नगर चौराहे के बीच नाले की सड़क धंसी थी। एमपी नगर की बसाहट के दौरान करीब 50 साल पहले पत्थरों की दीवार का नाला बना था। उस समय इसके ऊपर पुलिया नहीं बनाई गई, बल्कि उसे अंडरग्राउंड कर दिया गया। कुछ साल पहले निगम ने नाले के ऊपर ही पब्लिक टॉयलेट बना दिया। सफाई नहीं होने और पानी के प्रेशर के कारण सड़क धंस गई थी।

अब शुरू होना था काम इस काम के लिए पीडब्ल्यूडी ने टेंडर प्रक्रिया पूरी की और फिर टेंडर जारी किए। यह काम बारिश बाद करना था, लेकिन अब तक टेंडर प्रक्रिया ही नहीं हो पाई है। इसके चलते आम लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है।

2002 में पीडब्ल्यूडी को सौंपा था नाला जानकारी के अनुसार, यह नाला पीडब्ल्यूडी संधारण संभाग क्रमांक-2 भोपाल के अंतर्गत आता है। इसका निर्माण राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) ने किया था। जिसे साल 2002 में पीडब्ल्यूडी को हस्तांतरित कर दिया था। मार्ग के बाईं ओर ज्योति टॉकीज के पास स्थित लगभग 50 वर्ष पुराना पत्थर की दीवारों से निर्मित और अंडरग्राउंड नाला है।

समय के साथ इस नाले के दोनों छोरों को नगर निगम ने कवर कर दिया। वहीं, अपस्ट्रीम हिस्से पर एक सार्वजनिक सुलभ शौचालय का निर्माण भी कर दिया गया है। इस कारण नाले की न तो सफाई हो सकी और न ही निरीक्षण हो सका। हर साल बारिश में यह नाला सफाई से रह जाता, जबकि निगम का फोकस अन्य नालों पर रहता है।

कई इलाकों का आता है पानी यह नाला एमपी नगर जोन-1 से जोन-2 की ओर जल निकासी के लिए बना है। इसके अपस्ट्रीम की ओर बाईं दिशा से जुड़ी एक छोटी नाली का पानी भी इसी मुख्य नाले से आता है। दीवार पर दबाव बढ़ने के कारण उसकी संरचना प्रभावित हुई और मार्ग के एक हिस्से में गड्ढा बन गया।