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रायपुर। रायपुर कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह ने  6 जून को शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (रैशनलाइजेशन) को लेकर प्रेसवार्ता की। उन्होंने कहा कि यह कदम शिक्षा व्यवस्था को संतुलित, समावेशी और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए उठाया गया है। प्रेसवार्ता में कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तथा शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप की जा रही है।

नगरीय क्षेत्रों में अधिक शिक्षक, ग्रामीण क्षेत्रों में कमी
डॉ. सिंह ने बताया कि नगरीय इलाकों में छात्रों की तुलना में अधिक शिक्षक पदस्थ हैं, जबकि ग्रामीण व दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षकों की भारी कमी है। इससे गांवों की शालाओं में शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित हो रही थी। युक्तियुक्तकरण से अब गांवों में भी गणित, रसायन, भौतिकी और जीवविज्ञान जैसे विषयों के विशेषज्ञ शिक्षक उपलब्ध होंगे।

4 स्कूलों का समायोजन, 385 को क्लस्टर स्कूल के रूप में विकसित किया गया

रायपुर जिले में इस प्रक्रिया के तहत 4 स्कूलों का समायोजन किया गया है (1 अभनपुर और 3 रायपुर नगर क्षेत्र में)। ऐसे स्कूल जिनके पास एक किलोमीटर के भीतर दूसरा स्कूल था और नामांकन संख्या कम थी, उन्हें विलय किया गया। 385 स्कूलों को एक ही परिसर में क्लस्टर स्कूल के रूप में विकसित किया गया है। डॉ. सिंह ने बताया कि पहले जिले में 1422 स्कूल संचालित हो रहे थे, जिन्हें अब 1033 स्कूलों के रूप में व्यवस्थित किया गया है।

अतिशेष शिक्षकों की संख्या 1013, पुनर्नियोजन पूरा

रायपुर में कुल 1013 अतिशेष शिक्षक पाए गए:
    व्याख्याता – 127
    मिडिल स्कूल शिक्षक – 237
    सहायक शिक्षक – 645
इन शिक्षकों की काउंसलिंग के बाद जरूरतमंद स्कूलों में पदस्थापना की गई है। इससे छात्रों और शिक्षकों का अनुपात संतुलित होगा और पढ़ाई का स्तर बेहतर होगा।

डॉ. सिंह ने कहा कि युक्तियुक्तकरण का लक्ष्य हर छात्र तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाना है। इससे न केवल शिक्षकों का उपयोग बेहतर होगा, बल्कि दूरस्थ इलाकों में भी विषय विशेषज्ञों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। आने वाले समय में इसका सकारात्मक असर परीक्षा परिणामों और समग्र शैक्षणिक माहौल पर साफ नजर आएगा।