जयपुर: राजस्थान में पिछले एक महीने में कई बड़े हादसे हुए। इन हादसों में 60 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। ज्यादातर हादसे तेज रफ्तार से दौड़ से रहे वाहनों की वजह से होते रहे हैं। एक बड़ा हादसा जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में हुआ जहां भीषण अग्निकांड हो गया था। इस हादसों को लेकर राज्य सरकार गंभीर हो गई है। सोमवार देर शाम को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने उच्च स्तरीय बैठक ली जिसमें हादसों को रोकने पर गहन मंथन करते हुए कई निर्देश जारी किए गए। उधर लगातार हो रहे हादसों पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भी चिंता जाहिर की। गहलोत ने भजनलाल सरकार से मांग की कि वे एसआईटी का गठन करके हादसों की जांच कराए। फिर ऐसे कदम उठाएं ताकि हादसों को रोका जा सके।
4. 31 अक्टूबर को अलवर में तेज रफ्तार थार ने बाइक सवार को चपेट में ले लिया था। इस हादसे में पति, पत्नी और बेटे सहित चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। शादी समारोह में वापस लौटते समय नांगल खेड़ा निवासी महेंद्र सिंह, उनकी पत्नी गुड्डी, बेटा पूर्वांश और भतीजी पायल की मौत हो गई थी।
5. 1 नवंबर को फलोदी में भारतमाला एक्सप्रेस वे पर तेज रफ्तार से चल रहा टेंपो ट्रैवलर सड़क किनारे खड़े ट्रक से टकरा गया था। इस हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में 10 महिलाएं, चार बच्चे और एक ड्राइवर शामिल था।
6. 3 नवंबर को जयपुर के हरमाड़ा क्षेत्र में तेज रफ्तार डंपर ने 17 कारों और दुपहिया वाहनों को कुचल दिया। इस हादसे में 14 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी।
हर साल डेढ लाख से ज्यादा लोगों की होती है मौत – गहलोत
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि देशभर में हर साल औसतन डेढ़ लाख से अधिक जानें सड़क हादसों में जाती हैं जिसमें राजस्थान में करीब दस हजार से अधिक मौतें सड़क हादसों में होती हैं। सड़क हादसों में अधिकांश लोग वो भी जान गंवाते हैं जिनकी कोई गलती नहीं होती। गहलोत ने कहा कि फलोदी में सड़क दुर्घटना में 15 लोगों की मृत्यु के कुछ घंटे बाद ही एक अन्य सड़क दुर्घटना में 4 लोगों की मृत्यु हो गई। राजस्थान में पिछले कुछ दिनों में अधिक जनहानि वाले हादसों की संख्या बढ़ी है। पिछले कुछ दिनों से राजस्थान में भी सड़क हादसों में बड़े सड़क हादसे बढ़े हैं। सड़क सुरक्षा केवल एक विभाग या एजेंसी से जुड़ा विषय नहीं है। पीडब्ल्यूडी, ट्रांसपोर्ट और पुलिस सहित कई विभाग इससे जुड़े हैं। पूर्व सीएम ने आग्रह किया कि राज्य सरकार को इन सभी विभागों की एक SIT बनानी चाहिए जो सड़क हादसों में कमी के लिए ही काम करे। साथ ही सड़क सुरक्षा के संबंध में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। जन जागरूकता अभियान चलाकर आमजन कर सड़क हादसों में कमी के लिए गंभीर प्रयास करना चाहिए।



