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मप्र में इस साल जनवरी से अब तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सूची से 4.5 लाख नाम हटाए जा चुके हैं। ये वे हितग्राही थे जिनकी मृत्यु हो चुकी है या जो स्थाई रूप से मप्र से बाहर अन्य राज्यों में रहने चले गए हैं। मई तक कुल 87% हितग्राहियों का ई-केवाईसी के माध्यम से वेरिफिकेशन हो चुका है। अगले दो से तीन महीनों में 100% वेरिफिकेशन की तैयारी है। मप्र में कुल 5.43 करोड़ सार्वजनिक वितरण योजना के हितग्राही हैं।

खाद्य विभाग ने जनवरी से सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुड़े हितग्राहियों की ई-केवाईसी की प्रक्रिया शुरू की थी। आधार से जुड़े मोबाइल नंबर के आधार पर यह वेरिफिकेशन हो रहा है। साल 2024 के अंत तक लगभग 72% ई-केवाईसी हुआ था, जो अब बढ़कर 87% हो चुका है। पहले चरण में उन हितग्राहियों के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं, जिनकी मौत हो चुकी है या जो मप्र से बाहर जाकर बस चुके हैं।

विभाग के अनुसार, अगले चरण में सूची में जुड़े फर्जी नामों को ढूंढ़कर हटाया जाएगा। अगस्त तक पहला चरण पूरा होने की उम्मीद है। मप्र में सालाना लगभग 16 लाख टन खाद्यान्न का वितरण होता है।

स्मार्ट पीडीएस में जुड़ेगा वेरिफाइड डाटा: केंद्र की स्मार्ट पीडीएस योजना के तहत राज्य स्तरीय ऑनलाइन डैशबोर्ड बनाकर राशन वितरण प्रणाली मप्र में पूरी तरह ऑनलाइन निगरानी पर जल्द काम करेगी। केंद्र से बजट मिल चुका है। इस प्रोजेक्ट का कंट्रोल रूम खाद्य संचालनालय, विंध्याचल भवन में बनेगा। जल्द खाद्यान्न लेकर जाने वाले वाहनों की सरकारी गोदामों से लेकर राशन दुकानों तक ऑनलाइन मॉनिटरिंग की तैयारी है। एनआईसी दिल्ली इस डैशबोर्ड पर काम कर रहा है।

अगले चरण में फर्जी लोगों पर कार्रवाई करेंगे

पहले चरण में 87% ई-केवाईसी हो चुका है। दिक्कत उन परिवारों में है जिनके कुछ सदस्य बाहर जाकर काम करते हैं। अगले चरण में फर्जी नामों पर कार्रवाई करेंगे।

कर्मवीर शर्मा, संचालक-आयुक्त (खाद्य-नागरिक आपूर्ति)