भोपाल स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में पहली बार ऑपरेशन थिएटर (ओटी) के अंदर ही एक ब्रेन डेड मरीज का पोस्टमॉर्टम (अटॉप्सी) किया गया।
यह प्रदेश का पहला ऐसा सरकारी अस्पताल बन गया है, जहां अंगदान के बाद परिवार की भावनाओं का सम्मान करते हुए त्वरित और संवेदनशील प्रक्रिया अपनाई गई। ओबैदुल्लागंज के 60 वर्षीय शंकर लाल कुबेर ने जाते-जाते तीन लोगों को नया जीवन देकर मानवता की मिसाल पेश की है।
उनके परिजन चाहते थे कि शव को सुबह 11 बजे तक उन्हें सौंप दिया जाए, ताकि वे सूर्यास्त से पहले दाह संस्कार कर सकें। एम्स प्रबंधन ने परिवार की इस इच्छा को पूरा करना अपनी जिम्मेदारी समझा, क्योंकि शंकर के अंगदान से तीन जिंदगियां रोशन होने वाली थीं।
ओटी में ही पोस्टमॉर्टम इस अनोखे कदम के तहत, एम्स की मॉर्चुरी से एक टीम पूरी किट के साथ ऑपरेशन थिएटर में पहुंची। जहां मृतक शंकर के शरीर से महत्वपूर्ण अंगों (हार्ट और दोनों किडनी) को निकालने (ऑर्गन हार्वेस्टिंग) की प्रक्रिया चल रही थी।
अंग निकाले जाने के तुरंत बाद, एम्स के फोरेंसिक पैथोलॉजिस्ट ने ऑपरेशन थिएटर में ही अटॉप्सी (पोस्टमॉर्टम एग्जामिनेशन) की प्रक्रिया पूरी की। पोस्टमॉर्टम का मुख्य उद्देश्य मृत्यु का सटीक कारण निर्धारित करना, किसी भी बीमारी की पहचान करना या चिकित्सा अनुसंधान के लिए आवश्यक जानकारी एकत्र करना होता है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद, सुबह ठीक 11 बजे शव परिजनों को सौंप दिया गया।
फॉरेंसिक मेडिसिन एवं टॉक्सिकोलॉजी विभाग की टीम का नेतृत्व प्रो. डाॅ. राघवेंद्र कुमार विदुआ ने किया। उनकी टीम में डॉ. अतुल केचे, डॉ. संगीता एम, डॉ. दीक्षा छाबड़ा, डॉ. शशिकांत साहू, डॉ. तपिश कुमार और जितेंद्र कुमार शामिल थे।
मरीजों की स्थिति में सुधार की उम्मीद मृतक के परिजनों के अनुसार, डॉक्टरों ने उन्हें ट्रांसप्लांट के सफल होने की जानकारी दी है। हालांकि, मरीजों की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है, लेकिन पहले से बेहतर बताई जा रही है। एम्स की ओर से अभी तक मरीजों की स्थिति को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
प्रदेश में अंगदान की स्थिति एम्स भोपाल में यह 11वां किडनी ट्रांसप्लांट और प्रदेश का दूसरा हार्ट ट्रांसप्लांट है। भविष्य में पीडियाट्रिक (बच्चों के) किडनी ट्रांसप्लांट की भी तैयारी चल रही है। एम्स में पहला किडनी ट्रांसप्लांट 22 जनवरी 2024 को (परिजनों द्वारा दान की गई किडनी से) हुआ था, जबकि ब्रेन डेड मरीज से अंग प्राप्त कर (कैडेवर डोनेशन) पहला ट्रांसप्लांट 8 नवंबर 2024 को किया गया था।
साल 2023 में सिर्फ 8 कैडेवर डोनेशन नेशनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन की 2023 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में कुल 1,099 कैडेवर डोनेशन हुए थे। इनमें से तेलंगाना में सर्वाधिक 252 डोनेशन दर्ज किए गए, जबकि मध्य प्रदेश में यह संख्या मात्र 8 रही। यह आंकड़ा प्रदेश में अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने की महती आवश्यकता को दर्शाता है। एम्स भोपाल की यह सफलता निश्चित रूप से प्रदेश में अंगदान की मुहिम को नई गति देगी।