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नरेंद्र मोदी सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के लिए मध्यप्रदेश को दी जाने वाली राशि के प्रावधानों की घोषणा कर दी है। चालू वित्त वर्ष में केंद्र ने मोहन यादव सरकार को करीब आठ हजार करोड़ रुपए अधिक देने का फैसला किया है। एमपी सरकार को अगले वर्ष 31 मार्च तक इसका भुगतान किया जाएगा।

वर्ष 2024-25 में मोदी सरकार ने केंद्रीय बजट में एमपी की मोहन सरकार को 37652 करोड़ रुपए देने का प्रावधान किया था। लेकिन तब 16155 करोड़ रुपए कम मिले थे और एमपी के हिस्से में 21497 करोड़ रुपए ही आए थे। अब चालू वित्त वर्ष में पिछले बजट से अधिक राशि की घोषणा के बाद एमपी में विकास कार्यों में और तेजी आने की संभावना जताई जा रही है।

केंद्र और राज्य का संयुक्त बजट 68519 करोड़ का

प्रदेश में केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा योजनाओं के संयुक्त क्रियान्वयन के लिए कुल 68519.05 करोड़ रुपए खर्च किए जाने का फैसला किया गया है। इसमें 44255.33 करोड़ रुपए केंद्र सरकार देगी जबकि 24263.71 करोड़ रुपए राज्य सरकार के अंश के रूप में शामिल होंगे। इसके अलावा केंद्र सरकार कई अन्य योजनाओं में राशि अलग से भी जारी कर सकती है जिसके लिए बजट में प्रावधान नहीं किया गया है।

केंद्र ने एक माह में दिए 283 करोड़ रुपए

केंद्र और राज्य के समानुपात के आधार पर योजनाओं के खर्च के लिए चालू वित्त वर्ष में मोदी सरकार ने मोहन सरकार को 28 अप्रैल तक की स्थिति में 283.46 करोड़ रुपए दे भी दिए हैं। इसमें लोक निर्माण विभाग को केंद्रीय सड़क निधि के अंतर्गत 27.24 करोड़ रुपए दिए गए हैं। वहीं किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग को नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग के लिए 39.14 करोड़ रुपए दिए गए हैं। केंद्र ने वित्त विभाग को 217.07 करोड़ रुपए एडिशनल सेंट्रल असिस्टेंस फॉर एक्सटर्नली एडेड खर्च के लिए दिए हैं।

चार विभागों को केंद्र से शून्य राशि, चिकित्सा शिक्षा का अलग बजट नहीं

4 विभाग ऐसे हैं जिनके लिए शून्य बजट का प्रावधान किया गया है। ऐसे विभागों में पर्यटन, संस्कृति, वित्त और भोपाल गैस त्रासदी, राहत तथा पुनर्वास विभाग शामिल हैं। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग को इस साल कोई बजट नहीं मिलेगा। पिछले वित्त वर्ष में मोहन सरकार ने लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग को मर्ज करने का फैसला लिया था। लेकिन इसकी प्रक्रिया वित्त वर्ष 2024-25 शुरू होने के बाद पूरी हो पाई थी। इस कारण चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत मेडिकल कॉलेज के लिए केंद्र से राशि चिकित्सा शिक्षा विभाग के मद में दी जा रही थी।