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देश के स्कूलों में नवाचार और समस्या समाधान को बढ़ावा देने के लिए आयोजित ‘विकसित भारत बिल्डथॉन 2025’ में मध्यप्रदेश ने शानदार प्रदर्शन किया है। राज्य के 18,129 स्कूलों ने इसमें भाग लिया, जिससे वह देश में चौथे स्थान पर रहा।

सबसे ज्यादा 78,206 स्कूलों के साथ उत्तर प्रदेश पहले, 41,198 स्कूलों के साथ महाराष्ट्र दूसरे और 20,017 स्कूलों के साथ गुजरात तीसरे स्थान पर रहा। तमिलनाडु और बिहार इसके बाद हैं। मध्यप्रदेश की यह स्थिति बताती है कि ग्रामीण और शहरी, दोनों स्तरों पर स्कूलों में डिजिटल लर्निंग और नवाचार की सोच तेजी से बढ़ रही है।

यह प्रदर्शन छोटे राज्यों के मुकाबले कहीं बेहतर रहा है, क्योंकि झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे राज्यों की भागीदारी 10 हजार से भी कम रही। राज्य शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस प्रतियोगिता में छात्रों को नवाचार आधारित मॉडल और डिजिटल समाधान तैयार करने का मौका मिला।

राष्ट्रीय स्तर पर चुने गए स्कूलों को आगे ‘इनोवेटिव इंडिया’ कैटेगरी में शामिल किया जाएगा। 31 अक्टूबर तक पोर्टल पर एंट्री जारी रहेगी। इसके बाद दिसंबर में विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा। कुल 1000 जिलों से चुने गए सर्वश्रेष्ठ स्कूलों को राष्ट्रीय मंच पर पुरस्कार मिलेगा।

पड़ोसी राज्यों से बेहतर प्रदर्शन: राजस्थान केवल 6,310 स्कूलों के साथ 13वें स्थान पर रहा, जबकि छत्तीसगढ़ के 9,779, और झारखंड के 11,567 स्कूलों ने हिस्सा लिया। उत्तर प्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर रहा, लेकिन एमपी की हिस्सेदारी यूपी के बाद सबसे ज्यादा रही। जिससे मप्र टॉप-5 में शामिल हो गया।

मप्र की ज्यादा भागीदारी के मायने

ज्यादा स्कूलों की भागीदारी से राज्य को केंद्रीय योजनाओं और इनोवेशन ग्रांट्स में प्राथमिकता मिलेगी। राष्ट्रीय स्तर पर चयनित स्कूलों को स्मार्ट लर्निंग लैब, एआई-बेस्ड टूल्स और डिजिटल क्लासरूम सेटअप के लिए अतिरिक्त संसाधन दिए जाएंगे। इससे शिक्षकों को नई तकनीक पर प्रशिक्षण और छात्रों को वैज्ञानिक सोच-आधारित प्रोजेक्ट पर काम करने का मौका मिलेगा।

राज्य शिक्षा विभाग को भी अगले साल के लिए अलग नवाचार फंडिंग और राष्ट्रीय मान्यता की श्रेणी में लाभ मिल सकता है। कुल मिलाकर, ज्यादा भागीदारी का मतलब है कि स्कूलों में आधुनिक शिक्षा, तकनीकी प्रयोग और प्रतिस्पर्धात्मक माहौल का सीधा फायदा बच्चों तक पहुंचेगा।