भोपाल। कर्मचारी या आश्रित के बीमार होने पर मिलने वाला मेडिकल अग्रिम अब आसानी से मिल जाएगा, क्योंकि 80 प्रतिशत तक मेडिकल अग्रिम देने का अधिकार अब मूल विभाग को होगा। लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की अनुमति या परामर्श की आवश्यकता नहीं होगी। इसके लिए वित्तीय अधिकार पुस्तिका में 13 वर्ष बाद संशोधन के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में हुई कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे दी गई।
बैठक में वित्त विभाग की ओर से बताया गया कि 13 वर्ष में कई चीजें बदल गईं। पहले टाइप राइटर चलते थे, जिनका स्थान कंप्यूटर और लैपटाॅप ने ले लिया। महंगाई बढ़ गई।
विभागाध्यक्ष को कोई उपकरण खरीदना होता है और वह व्यय के लिए निर्धारित सीमा से अधिक होता है तो विभाग से अनुमति लेने की प्रक्रिया करनी होती है, जिसमें अनावश्यक समय लगता है।
कर्मचारियों को मेडिकल अग्रिम देने के लिए लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग से अनुमति या परामर्श लेना आवश्यक किया गया था। इसके कारण परेशानी होती थी।
वहीं, कई शैक्षणिक सहित संस्थान सरकारी कामकाज की समझने के लिए अपने विद्यार्थी या कर्मचारियों को प्रशिक्षण के लिए भेजना चाहते हैं लेकिन विभागाध्यक्ष को इसकी अनुमति नहीं थी।
वर्तमान की आवश्यकताओं को देखते हुए कैबिनेट की बैठक में वित्तीय अधिकार पुस्तिका में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमति दी गई।
इसमें वित्त के स्थान पर प्रशासकीय विभाग को बजट नियंत्रण अधिकारी घोषित करने, सलाहकार एजेंसी से काम करने।
मानदेय की स्वीकृति और पेंशन या अन्य देय राशि के अधिक भुगतान को समाप्त करने का अधिकार भी प्रत्यायोजित किया गया है। विभागीय भवन तोड़ने की अनुमति भी संबंधित विभाग ही देगा।