नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अमेरिकीअर्थव्यवस्था को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आगाह किया है। उन्होंने कहा है कि अगर राजनीति की वजह से अमेरिकीनविश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों की संख्या कम होती है, तो इससे लंबे समय में अमेरिका को नुकसान होगा। राजन ने एक इंटरव्यू में कहा कि विदेशी छात्र हमेशा से अमेरिकी इनोवेशन और आर्थिक तरक्की का एक अहम हिस्सा रहे हैं। लेकिन अभी की नीतियां इस फायदे को खत्म कर सकती हैं। राजन का बयान ऐसे समय आया है जब ट्रंप प्रशासन और विश्वविद्यालयों के बीच खींचतान चल रही है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजन ने गूगल के कोफाउंडर सर्गेई ब्रिन का उदाहरण देते हुए कहा, ‘सर्गेई ब्रिन जैसे लोग छात्र बनकर आए और उन्होंने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए शानदार काम किया। विश्वविद्यालयों को यह बात समझानी होगी कि वे अमेरिका के विकास के लिए कितने जरूरी हैं और उस विकास को लोगों तक पहुंचाने में भी उनकी कितनी भूमिका है।’ ब्रिन 146 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ दुनिया के अमीरों की लिस्ट में 10वें नंबर पर हैं। उन्होंने लैरी पेज के साथ गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट की स्थापना की थी।
कैसे शुरू हुआ विवाद
शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनस में फाइनेंस के प्रोफेसर राजन ने यह भी कहा कि विदेशी छात्रों की संख्या कम होने से अमेरिका में नौकरियों पर भी असर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि गूगल जैसी कंपनियां हजारों लोगों को नौकरी देती हैं और इसमें विदेशी छात्रों का भी बड़ा योगदान है। ट्रंप प्रशासन और विश्वविद्यालयों के बीच चल रही खींचतान की शुरुआत हार्वर्ड और कोलंबिया जैसे बड़े विश्वविद्यालयों में यहूदी विरोधी भावनाओं को लेकर शुरू हुआ था।
कितने विदेशी छात्र
इस माहौल की वजह से विश्वविद्यालयों का अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जो योगदान है, वह कम हो रहा है। अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों में विदेशी छात्रों की संख्या 5.9% है। अमेरिका में लगभग 1.9 करोड़ छात्र उच्च शिक्षा ले रहे हैं। 2023-2024 के शैक्षणिक वर्ष में 11 लाख से ज्यादा विदेशी छात्र अमेरिका आए थे। इनमें सबसे ज्यादा छात्र भारत से थे और उसके बाद चीन से।