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रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की निर्णायक रणनीति एक बार फिर बड़ी सफलता लेकर आई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व और सुरक्षा बलों के सतत प्रयासों से 50 लाख रुपए के इनामी सहित कुल 27 सक्रिय माओवादियों ने सुकमा जिले में आत्मसमर्पण किया है।

यह आत्मसमर्पण राज्य की ‘नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति-2025’ और ‘नियद नेल्ला नार योजना’ की ऐतिहासिक सफलता का प्रत्यक्ष उदाहरण माना जा रहा है। आत्मसमर्पण करने वालों में पीएलजीए बटालियन नंबर-01 के कई हार्डकोर नक्सली भी शामिल हैं।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह केवल आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि बस्तर के बदलते विश्वास, सुरक्षा और विकास की नई कहानी है। शासन की संवेदनशील नीतियों और सुरक्षा बलों की वीरता से बस्तर का चेहरा बदल रहा है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने का सम्मानजनक अवसर दिया जा रहा है। सरकार का उद्देश्य केवल नक्सलवाद का अंत नहीं, बल्कि उन क्षेत्रों में स्थायी शांति और विकास की स्थापना करना है, जहाँ कभी भय और हिंसा का वातावरण था।
उन्होंने कहा कि आज वही इलाके संवाद, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और रोजगार के नए मार्ग पर अग्रसर हैं। मुख्यमंत्री साय ने सुरक्षाबलों की सराहना करते हुए कहा कि डीआरजी, एसटीएफ, सीआरपीएफ, कोबरा और स्थानीय पुलिस बलों के संयम, साहस और रणनीति ने इस सफलता को संभव बनाया है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में भारत ‘नक्सल मुक्त राष्ट्र’ के लक्ष्य की ओर तीव्र गति से बढ़ रहा है। छत्तीसगढ़ इस राष्ट्रीय संकल्प को पूरा करने के लिए पूर्ण निष्ठा से कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री साय ने सभी सुरक्षाबलों, पुलिस अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन को बधाई दी और कहा कि यह सफलता उनके साहस और समर्पण का परिणाम है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार नक्सलवाद से प्रभावित इलाकों में अब विकास कार्यों को और तेज गति से आगे बढ़ाएगी, ताकि हर गांव में “विश्वास, विकास और शांति” की ज्योति प्रज्वलित हो सके।

हाल ही में गढ़चिरौली में माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू समेत 60 नक्सलियों के आत्मसमर्पण के बाद छत्तीसगढ़ में हुई यह कार्रवाई नक्सलवाद पर एक और बड़ा प्रहार मानी जा रही है।