नई दिल्ली: एशियाई बाजारों में सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि OPEC+ (तेल उत्पादक देशों का समूह और उनके सहयोगी) ने अगले साल की पहली तिमाही में उत्पादन बढ़ाने का फैसला फिलहाल टाल दिया है। इससे तेल की आपूर्ति में अचानक बहुत ज्यादा बढ़ोतरी होने का डर कम हो गया है। ओपेक+ दुनिया के तेल उत्पादक और निर्यातक देशों का प्रभावशाली गठबंधन है। इसमें 22 देश शामिल हैं।
रॉयटर्स के मुताबिक लंदन ब्रेंट क्रूड ऑयल के फ्यूचर 47 सेंट यानी 0.73 फीसदी बढ़कर 65.24 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए। शुक्रवार को यह 7 सेंट बढ़कर बंद हुआ था। वहीं, अमेरिका का वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड ऑयल 45 सेंट यानी 0.74 फीसदी बढ़कर 61.43 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। पिछले सत्र में यह 41 सेंट बढ़ा था।
क्या लिया था ओपेक+ देशों ने फैसला
OPEC+ ग्रुप ने रविवार को घोषणा की थी कि वे दिसंबर में उत्पादन 137,000 बैरल प्रति दिन बढ़ाएंगे। यह बढ़ोतरी अक्टूबर और नवंबर के समान ही है। समूह ने एक बयान में कहा था कि दिसंबर के बाद मौसमी कारणों से आठ देशों ने जनवरी, फरवरी और मार्च 2026 में उत्पादन वृद्धि को रोकने का भी फैसला किया है।
क्यों हुई तेल की कीमत में बढ़ोतरी
ओपेक+ देशों का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दुनिया भर में तेल की मांग और सप्लाई को लेकर लगातार चर्चाएं चल रही हैं। तेल की कीमतें भी बाजार में उतार-चढ़ाव दिखा रही हैं। ओपेक+ देशों का यह कदम वैश्विक तेल बाजार को प्रभावित कर सकता है। अमेरिका ने रूसी तेल कंपनियों पर बैन लगा दिया है। इससे भारत और चीन में तेल की सप्लाई प्रभावित हुई है। आने वाले समय में तेल उत्पादन में कमी को देखते हुए इसकी कीमत में तेजी आई है।



