नई दिल्ली । चुनाव आयोग द्वारा चुनावी महाकुंभ की तारीखों का ऐलान करते ही देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। आचार संहिता के नियम कायदों के चलते कई बार व्यापारियों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। जिसके वजह से कारोबारियों ने चुनाव आयोग से गुहार लगाई है कि चुनाव आचार संहिता के नाम पर व्यापार और व्यापारियों का नुकसान न हो इसका ध्यान रखा जाए ताकि स्वतंत्र और निपष्क्ष चुनाव के साथ अर्थव्यवस्था की गाड़ी भी चलती रहे। चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद कारोबारी संगठन कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (केट) की तरफ से बयान जारी करके कहा गया कि देश में आम चुनाव होना 5 साल की एक प्रक्रिया है। व्यापार दिन-रात बारह महीने चलते रहता है। चुनाव में आचार संहिता लगाना अच्छी बात है। उतना ही जरूरी है कि व्यापार जिस तरीके से चलता है वह प्रभावित ना हो, चलता रहे। व्यापार में शहर के व्यापारी विभिन्न गांवों में, देहातों में, आदिवासी इलाकों की दुकानों में माल भेजते रहते हैं। समय-समय पर दौरा लगाकर अपने पैसे की वसूली करते हैं। काफी बड़ी रकम उनके पास जमा रहती है। इसी प्रकार सोना- चांदी के व्यापारी व अन्य सामानों के व्यापारी अपनी गाड़ियों में माल भरकर गांव-गांव बेचते हैं। सामान के पैसे जमा करते हैं। इस तरह से व्यापारियों के पास बहुत सारा पैसा और सोना-चांदी आभूषण आदि व्यापार संबंधित रहते हैं। अर्थव्यवस्था को चलाए रखने के लिए यह सब अनिवार्य है।व्यापारियों का कहना है कि देश में शादियों का मौसम शुरु होने वाला है। ऐसे समय माल की खपत बढ़ जाती है। ग्रामीण क्षेत्र से बहुत से लोग नगद पैसे लेकर शहर में खरीदी करने आते हैं। पैसे का चुनाव में दुरुपयोग ना हो यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है लेकिन अर्थव्यवस्था चलाने के लिए व्यापारियों को नगद, सोने चांदी के आभूषण आदि लेकर यात्रा करना भी जरुरी होता है। इसलिए व्यापार और व्यापारी को प्रभावित न करते हुए आचार संहिता का पालन होना चाहिए।