नाग पंचमी जरूर रखें इन बातों का ध्यान...
आज श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। आज यानी 2 अगस्त, मंगलवार को नागपंचमी है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है और दूध से उनका अभिषेक किया जाता है। नाग को भगवान शिव शंकर ने अपने गले में धारण किया है, इसलिए इस दिन नाग देवता के साथ-साथ शिव जी की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही नाग पंचमी के अवसर पर की जाने वाली पूजा से राहु-केतु के बुरे प्रभाव एवं कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति शिव की पूजा करता है और सर्प देवता की पूजा के साथ रुद्राभिषेक करता है, उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। नागपंचमी के दिन यदि घर के मुख्य द्वार पर सांप का चित्र बना दिया जाए तो उस घर से नाग देवता प्रसन्न होते हैं और उस घर के सदस्यों के सभी दुख दूर हो जाते हैं।
नागपंचमी के दिन करें ये काम
1. नागपंचमी के दिन व्रत रखने से कालसर्पदोष दूर होता है। तो संभव हो तो इस दिन व्रत रखें।
2. इस दिन नाग देवता की पूजा करें और उन्हें दूध, मिठाई और फूल चढ़ाएं।
3. नागपंचमी के दिन पूजा के समय नाग पंचमी मंत्र का जाप करना चाहिए।
4. जिनकी कुंडली में राहु-केतु भारी है। वे लोग इस दिन नाग देवता की पूजा करते हैं। ऐसा करने से कुंडली में आने वाली परेशानियां दूर हो सकती हैं।
5. इस दिन इस बात का ध्यान रखें कि पीतल के बर्तन से शिवलिंग या नाग देव को दूध अर्पित करना चाहिए। जल चढ़ाने के लिए तांबे के बर्तन का प्रयोग करें।
नाग पंचमी के दिन न करें ये काम
1. नागपंचमी के दिन खेती का कार्य गलती से भी न करें। सावन मास में अक्सर खेतों में नाग निकलते हैं और कार्य के दौरान नाग चोटिल हो सकते हैं और आप पर नाग हत्या का दोष लग सकता है।
2. नाग पंचमी के दिन नुकीली और नुकीली चीजों के इस्तेमाल से बचें।
3. इस दिन न तो लोहे की कड़ाही का उपयोग करें और न ही खाना पकाने के लिए किसी भी लोहे के बर्तन में खाना पकाएं।
4. नागपंचमी के दिन मांस या शराब या तामसिक भोजन से दूरी बनाकर रखें। भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें।
नाग पंचमी पर करें इस मंत्र का जाप
नागपंचमी के दिन भगवान भोलेनाथ के किसी मंदिर में रुद्राभिषेक करके 'नागेन्द्र हाराय ॐ नम: शिवाय' मंत्र का सवा लाख बार जाप करें। इसके बाद 108 बार 'ॐ नागदेवतायै नम:' या 'ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नौ सर्प प्रचोद्यात्' मंत्र का जाप करें।