हरियाली तीज और उसका महत्व
सुहागिनों का प्रिय त्यौहार हरियाली तीज सावन माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को पड़ता है। इस बार हरियाली तीज 30 अगस्त मंगलवार को है। महिलाओं के लिये यह व्रत खास महत्व रखता है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा करती हैं। वह इस दिन हाथों में खूबसूरत मेहंदी रचा कर झूला झूलती हैं। यह एक तरह की परंपरा है जो सदियों से बरकरार है। हरियाली तीज की पूजा विधि और इसे मनाने के तरीके जानें।
मां पार्वती के श्रृंगार के लिए जरूरी सामग्री
चूडियां, सुहाग पूड़ा, कुमकुम, कंघी, सिंदूर, बिछुआ, मेहंदी, महौर, खोल, , सुहागिन के श्रृंगार की चीजें। इसके अलावा श्रीफल, कलश,अबीर, चंदन, तेल और घी, कपूर, दही, चीनी, शहद ,दूध और पंचामृत आदि।
पूजा विधि
हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार कर निर्जला व्रत रखती हैं। पूजा करने के लिये महिलाएं सबसे पहले किसी मंदिर या खुले स्थान पर एकत्रित होकर मां पार्वती की प्रतिमा को रेशमी वस्त्र और गहने से सजाती हैं। इसके बाद अर्धगोले का आकार बनाकर मां की मूर्ति बीच में रख कर पूजा की जाती है। इन्हीं महिलाओं में एक महिला सभी को कथा सुनाती है। जिसके बाद महिलाएं मां पार्वती से पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। उसके बाद सुहागिन महिलाएं अपनी सास के पांव छूकर उन्हें सुहागी देती हैं।
पारण करने का तरीका-
पारण के दिन पूड़ी सब्जी , हलवा इत्यादि बनाकर मंदिर में अर्पित करके फिर अन्न ग्रहण किया जाता है। हरियाली तीज का व्रत श्रद्धा पूर्वक रखने से महिलाओं का सुहाग अखण्ड रहता है और दामपत्य जीवन सुखी रहता है।