आज नाग पंचमी व मंगला गौरी व्रत का अद्भुत संयोग
भगवान शिव को समर्पित सावन मास चल रहा है। सावन सोमवार की तरह ही सावन मास के मंगलवार का भी विशेष महत्व है। सावन महीने के मंगलवार को माता पार्वती को समर्पित मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। आज 2 अगस्त, मंगलवार को सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत है। इसके साथ ही भगवान शंकर और नाग देवता को समर्पित नाग पंचमी का त्योहार भी है। ऐसे में आज नाग पंचनी व मंगला गौरी व्रत का अद्भुत संयोग बना है। भक्तों पर भगवान शंकर के साथ माता पार्वती की असीम कृपा हो सकती है। मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से वैवाहिक जीवन खुशहाल व अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
मंगला गौरी व्रत महत्व- मंगला गौरी व्रत सुहागिनों को समर्पित व्रत माना गया है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है।
शुभ मुहूर्त- ब्रह्म मुहूर्त- 04:19 ए एम से 05:01 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 12:00 पी एम से 12:54 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:42 पी एम से 03:36 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:58 पी एम से 07:22 पी एम
अमृत काल- 09:52 ए एम से 11:34 ए एम
रवि योग- 05:29 पी एम से 05:43 ए एम, अगस्त 03
पूजा विधि - इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें।निवृत्त होकर साफ-सुधरे वस्त्र धारण करें।इस दिन एक ही बार अन्न ग्रहण करके पूरे दिन माता पार्वती की अराधना करनी चाहिए।चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां मंगला यानी माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
अब विधि-विधान से माता पार्वती की पूजा करें।
व्रत कथा- प्राचीन काल में धर्मपाल नामक एक सेठ था। वह भोलेनाथ का सच्चा भक्त था। उसके पैसों की कोई कमी नहीं थी। लेकिन उसके कोई पुत्र न होने के कारण वह परेशान रहता था। कुछ समय बाद महादेव की कृपा से उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। लेकिन ये पहले से तय था कि 16 वर्ष की अवस्था में उस बच्चे की सांप के काटने से मृत्यु हो जाएगी। सेठ धर्मपाल ने अपने बेटे की शादी 16 वर्ष की अवस्था के पहले ही कर दी। जिस युवती से उसकी शादी हुई। वो पहले से मंगला गौरी का व्रत करती थी। व्रत के फल स्वरूप उस महिला की पुत्री के जीवन में कभी वैधव्य दुख नहीं आ सकता था. मंगला गौरी के व्रत के प्रभाव से धर्मपाल के पुत्र के सिर से उसकी मृत्यु का साया हट गया और उसकी आयु 100 वर्ष हो गई। इसके बाद दोनों पति पत्नी ने खुशी-खुशी पूरा जीवन व्यतीत किया।