मुंबई । महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संग्राम के बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी एकनाथ शिंदे गुट को बड़ी राहत दी है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट कहा है कि शिवसेना के मामले में चुनाव आयोग के फेसले पर रोक नहीं लगाई जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्धव कैंप अभी मिले अस्थायी नाम और चुनाव निशान का इस्तेमाल जारी रख सकता है. शिंदे पक्ष अभी ऐसा कोई व्हिप नहीं जारी करेगा जिसे न मानने से उद्धव समर्थक सांसद और विधायक अयोग्य हो जाएं. अगली सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी. इस दौरान शिंदे पक्ष के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुनवाई हाई कोर्ट में होनी चाहिए. इन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में बात रखने की इजाज़त नहीं मिलनी चाहिए. वहीं उद्धव ठाकरे की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग कह रहा है कि शिवसेना का 2018 का संविधान रिकॉर्ड पर नहीं है. इसलिए विधायक दल में बहुमत के हिसाब से सुनवाई करेंगे. यह गलत है. अगर यह भी आधार हो तो विधान परिषद और राज्यसभा में हमारे पास बहुमत है. उसकी उपेक्षा की गई. इसके बाद कौल ने कहा कि 2018 में एक पार्टी संविधान बना दिया गया कि सारे अधिकार अध्यक्ष के पास ही रहेंगे. इस तानाशाही भरे संविधान की जानकारी भी चुनाव आयोग को नहीं दी गई. उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ अयोग्यता की कार्रवाई लंबित होना किसी विधायक को सदन के कामकाज से वंचित नहीं करता. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना के रूप में मान्यता देने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान नोटिस जारी कर एकनाथ शिंदे और चुनाव आयोग से दो सप्ताह में जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि चुनाव आयोग ने सिंबल और पार्टी एकनाथ शिंदे को दी है लेकिन संपत्तियों और बैंक खातों के बारे में कोई आदेश नहीं है तो हम रोक कैसे लगा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए आगे कहा ऐसे में हम नोटिस जारी कर दो सप्ताह में प्रतिपक्षों से जवाब तलब कर रहे हैं. अगर कोई और समस्या आती है तो उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्धव गुट को जो उप चुनाव मे अस्थाई सिंबल ‘मशाल’ मिला था उसे फिलहाल आगे इस्तेमाल कर सकते हैं. इस दौरान शिंदे गुट की ओर से कोर्ट को भरोसा दिलाया गया कि अभी अयोग्यता की कार्रवाई नहीं करेंगे.