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नई द‍िल्‍ली: ज्योति पद्मा ने अपनी बेटी के लिए शुद्ध दूध की तलाश में सफल डेयरी कारोबार खड़ा किया है। उनकी बेटी को लैक्टोज एलर्जी थी। उन्होंने BKD मिल्‍क नाम का एक डेयरी फार्म बनाया। यह फार्म A2 मिल्‍क देता है। ज्‍योति ने ‘काऊ करेंसी’ नाम का एक तरीका भी निकाला है। इससे शहरों में रहने वाले लोग गायों की बिना देखभाल किए ही उन्‍हें खरीद सकते हैं। इससे उन्हें ताजा दूध और घी मिलता है। यह तरीका पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। आइए, यहां ज्‍योति पद्मा की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।

छोड़ दी टेक्सटाइल इंजीनियरिंग की नौकरी

ज्योति बीटेक ग्रेजुएट हैं। उन्‍होंने अपनी बेटी की लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या को समझा। ज्‍योति ने देखा कि मिलावटी दूध की समस्या कई बच्चों को हो रही है। इसलिए उन्होंने टेक्सटाइल इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर डेयरी बिजनेस शुरू किया। महत्‍वपूर्ण यह है क उन्‍हें डेयरी इंडस्‍ट्री में पहले कोई अनुभव नहीं था। उन्होंने जाना कि भारतीय गायें भारतीयों के लिए बेहतर होती हैं। इसके बाद उन्होंने अपना फोकस देसी गायों पर लगाया।

बेटी के लिए शुरू की डेयरी फार्मिंग

ज्योति पद्मा ने डेयरी फार्मिंग का काम अपनी बेटी के लिए शुरू किया। वह अपनी बेटी को जरूरी पोषण देना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने कई तरह के दूध ब्रांड और स्थानीय विकल्प आजमाए। लेकिन, उनकी बेटी का शरीर हर बार दूध को अस्वीकार कर देता था। 2018 में उन्हें एक रास्‍ता मिला। उनकी बहन लखनऊ से उनके लिए दूध भेजती थी। ज्योति को ताज्‍जुब हुआ कि उनकी बेटी को इस दूध से कोई परेशानी नहीं हुई। यह ज्योति के लिए महत्वपूर्ण खोज थी। वह अपनी बेटी की परेशानी का कारण ढूंढ रही थीं। तब उन्हें पता चला कि समस्या दूध में ही थी।

2 एकड़ जमीन लीज पर ली

लखनऊ में दस महीने तक फार्म संभालने के बाद ज्योति मुंबई लौट आईं। मुंबई-पुणे हाईवे के पास उन्होंने 2 एकड़ जमीन लीज पर ली। अपने पति की मदद से उन्होंने अपनी बचत को निवेश किया। इस तरह 2019 में BKD मिल्क फार्म की शुरुआत हुई। उन्होंने गिर, साहीवाल और कांकरेज नस्ल की 21 देसी गायें खरीदीं।

फार्म का सालाना रेवेन्यू 1 करोड़ रुपये

ज्योति ने अपनी गायों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी। उन्होंने गायों के लिए ऑर्गेनिक 5G नेपियर घास उगाई। गायों के लिए घूमने की खुली जगह बनाई। इससे गायों की सेहत और दूध की क्वालिटी अच्छी रही। आज उनके फार्म में 20 से ज्यादा लोग काम करते हैं। इनमें ज्यादातर महिलाएं हैं। फार्म का सालाना रेवेन्यू 1 करोड़ रुपये है। ज्योति पद्मा शुद्ध, बिना मिलावट वाला दूध देकर डेयरी उद्योग में बड़ा बदलाव ला रही हैं। वह दूध से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को दूर कर रही हैं।