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इस्लामाबाद: सऊदी अरब के साथ हुए रक्षा समझौते के बाद पाकिस्तान खुश नजर आ रहा है। पाकिस्तान ने इस समझौते में कुछ और अरब देशों के शामिल होने की संभावना जताई है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि सऊदी अरब के साथ हुए उनके देश के रक्षा समझौते में दूसरे अरब देश भी शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसी तीसरे देश के लिए दरवाजे बंद नहीं किए गए हैं। मौजूदा समझौता किसी और देश की एंट्री को नहीं रोकता है।

पाकिस्तान और सऊदी अरब ने बुधवार को रियाद में ऐतिहासिक रक्षा समझौता किया है। इसके तहत किसी एक देश के खिलाफ किसी भी आक्रमण को दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। पाकिस्तान और सऊदी के इस समझौते में कुछ और देशों के आने की चर्चा है। जियो न्यूज में आसिफ से पूछा गया कि क्या दूसरे अरब देश भी इस समझौता का हिस्सा बन सकते हैं। इस पर आसिफ ने कहा कि मैं इसका जवाब समय से पहले नहीं दे सकता लेकिन मैं यह जरूर है कि दरवाजे खुले हैं।

मुस्लिम एकजुटता जरूरी

आसिफ ने कहा कि सऊदी के साथ समझौते में ऐसा कोई खंड नहीं है, जो किसी अन्य देश के प्रवेश को रोकता हो या फिर पाकिस्तान किसी और के साथ ऐसा समझौता नहीं कर सकता हो। उन्होंने इस्लामिक वर्ल्ड के लिए भी नाटो जैसी व्यवस्था की वकालत की है। आसिफ ने कहा कि मेरा मानना है कि मुस्लिम राष्ट्रों को मिलकर अपनी रक्षा करना एक मौलिक अधिकार है।"

यह पूछे जाने पर कि क्या इस समझौते के तहत पाकिस्तान की परमाणु क्षमताएं भी इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हैं। आसिफ ने कहा कि हमारे पास जो कुछ भी है, इस समझौते के तहत निश्चित रूप से उपलब्ध होंगी। मैं यह कहना चाहूँगा कि जब से पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति संपन्न देश बना है, तब से किसी ने भी एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति होने के हमारे दर्जे को चुनौती नहीं दी है।

सऊदी की सुरक्षा अहम

आसिफ ने कहा, ‘यह कोई आक्रामक समझौता नहीं बल्कि नाटो की तरह रक्षात्मक व्यवस्था है। पाकिस्तान काफी समय से सऊदी अरब की सेनाओं को प्रशिक्षण दे रहा है। हालिया घटनाक्रम उसी का एक औपचारिक विस्तार मात्र है। अगर कोई आक्रमण होता है, चाहे वह सऊदी अरब के खिलाफ हो या पाकिस्तान के, हम मिलकर उसका बचाव करेंगे।’ आसिफ ने यह भी कहा कि सऊदी अरब में पवित्र इस्लामी स्थलों यानी मक्का मदीना की सुरक्षा पाकिस्तान का पवित्र कर्तव्य है।